अरविंद केजरीवाल फिर जाएंगे जेल? चुनाव के बीच ED को मिली मंजूरी, दिल्ली की राजनीति में आएगा भूचाल
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की नजर इस बार हैट्रिक जीत पर है। अभी वो खुद चुनावी सभाओं में व्यस्त हैं और इस बीच उनकी टेंशन बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। दिल्ली चुनाव से पहले एक बार फिर शराब घोटाले का जिन्न बाहर निकल आया है। दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गृह मंत्रालय ने ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय को अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। अरविंद केजरीवाल को लेकर ऐसी खबर आना चुनाव में आप की सिरदर्दी बढ़ा सकते हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस दर्ज करने की यह अनुमति एमएचए की तरफ से ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत मिली है। दिल्ली की एक विशेष पीएमएलए कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय करने पर इससे पहले रोक लगा दी थी। बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने इस दौरान कहा था कि पीएमएलए के तहत केस चलाने के लिए जरूरी मंजूरी के बिना ही ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया है।
दिल्ली शराब घोटाला मामले में सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। सीबीआई को पिछले साल अगस्त में इस केस में जरूरी मंजूरी मिल गई थी। हालांकि, इडी को अब तक इस मामले में मंजूरी नहीं मिली थी। लेकिन अब खुद गृह मंत्रालय ने एक्शन लेने की इजाजत दे दी है।
दिल्ली शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर ‘साउथ ग्रुप’ से रिश्वत लेने का आरोप है। ये ग्रुप राष्ट्रीय राजधानी में शराब की बिक्री तथा वितरण को कंट्रोल करता था। ऐसा आरोप है कि इस ग्रुप को दिल्ली की आप सरकार की तरफ से 2021-22 के लिए बनाई गई आबकारी नीति से फायदा हुआ था।
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बता दें कि सी-वोटर्स ने अपने सर्वे में यह आकलन किया है कि दिल्ली में करीब 49 प्रतिशत जनता एक बार फिर से आम आदमी पार्टी को सत्ता में लाना चाहती है। जबकि करीब 46 प्रतिशत जनता सत्ता बदलना चाहती है। आप की सरकार बनने का अंतर 17-19 प्रतिशत रहेगा। इस आकलन में यह भी कहा गया है कि आप को नहीं चाहने वाली 46 प्रतिशत जनता के वोट भाजपा और कांग्रेस में बंट सकते हैं, लेकिन यह लाभ उसी समय मिलेगा जब आप के समर्थक एकमुश्त उसके लिए वोट करने आएंगे। ऐसे में असली लड़ाई अपने मतदाताओं को वोटिंग बूथ तक लाने की है।