छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा (फोटो- सोशल मीडिया)
रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में एक और बड़ा मोड़ आ गया है। 2000 करोड़ रुपये से अधिक के इस घोटाले में राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ एसीबी/ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत में 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए लखमा इस समय रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं। इस चालान में लखमा की घोटाले में भूमिका को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
चार्जशीट के साथ अदालत में 66 पन्नों की समरी भी दाखिल की गई है, जिसमें यह उल्लेख है कि लखमा को 36 महीनों के भीतर अवैध शराब सिंडिकेट से 72 करोड़ रुपये की राशि मिली। यह मामला 2019 से 2022 के बीच का है, जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार सत्ता में थी और लखमा आबकारी मंत्री थे। आरोपों के अनुसार, घोटाले के पीछे एक सुनियोजित नेटवर्क काम कर रहा था, जो शराब कारोबार में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार फैला रहा था।
ईडी की लंबी जांच, छापेमारी और गिरफ्तारी
लखमा की मुश्किलें तब बढ़ीं जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिसंबर 2024 में उनके ठिकानों पर छापेमारी की। 28 दिसंबर को शुरू हुई जांच के बाद ईडी ने 3 और 9 जनवरी को लखमा से पूछताछ की थी। अंततः 15 जनवरी 2025 को उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। तब से वे जेल में हैं। मामले में ईडी के मुताबिक, शराब की अवैध बिक्री से पैदा हुए करोड़ों रुपये के ट्रांजैक्शन में कई रसूखदार लोग शामिल रहे हैं।
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घोटाले की जड़ में ‘सिंडिकेट सिस्टम’
चार्जशीट के अनुसार, यह घोटाला सिंडिकेट सिस्टम के तहत हुआ, जहां सरकारी ठेकों, नकली बिलों और नकली ब्रांड के जरिए अरबों रुपये का लेनदेन हुआ। इससे न सिर्फ सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ, बल्कि शराब के व्यापार में अवैध ताकतों को भी बढ़ावा मिला। ईडी ने अब तक इस घोटाले में 2161 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता लगाया है। जांच एजेंसी ने इस मामले में अब तक दर्जनों लोगों से पूछताछ की है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियों की संभावना जताई जा रही है।