डोनाल्ड ट्रंप, ( सोर्स- सोशल मीडिया)
India Bought More Oil And Gas From America: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 50 फीसदी टैरिफ और पेनाल्टी लगायी है। लेकिन आधिकारिक आंकड़ों ने ट्रंप के झूठे दावों की पोल खोल दी है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ने इस दावे को पूरी तरीके से नकार दिया है कि भारत ने अमेरिका से ऑयल एंड गैस की अपनी खरीद में तेजी से बढ़त की है। जिसका रिजल्ट ये रहा कि अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस घट गया है, जो ट्रंप सरकार की ट्रेड पॉलिसी का मेन टारगेट है।
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि इस साल जनवरी से जून तक अमेरिका से भारत का तेल और गैस आयात 51 प्रतिशत तक बढ़ गया है। अमेरिका से देश का एलएनजी इंपोर्ट फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के 1.41 अरब डॉलर से करीब दोगुना होकर फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में 2.46 अरब डॉलर हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में विश्वास दिलाया था कि भारत अमेरिका के ट्रेड डेफिशिएंट को कम करने में मदद के लिए अमेरिका से एनर्जी इंपोर्ट को 2024 के 15 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2025 में 25 अरब डॉलर कर देगा। इसके बाद, सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल और गैस कंपनियों ने अमेरिकी कंपनियों से और ज्यादा लॉन्ग टर्म एनर्जी खरीद के लिए बातचीत की। नई दिल्ली ने यह भी साफ किया था कि वह रूसी तेल पर निर्भरता कम करने के लिए अपने एनर्जी इंपोर्ट सोर्सेज में विविधता ला रहा है।
भारत ने बताया है कि वह रूसी तेल खरीद रहा है क्योंकि जी7 देशों द्वारा निर्धारित मूल्य सीमा से कम कीमत पर ऐसी खरीद पर कोई बैन नहीं लगाया गया है। असल में, ऐसी खरीद की अनुमति देना अमेरिकन पॉलिसी का हिस्सा था,क्योंकि मार्केट में ज्यादा तेल होने से इंटरनेशनल मार्केट में कीमतों में तेजी नहीं आएगी। इसके अलावा, कम कीमतों पर खरीद ने रूस की कमाई को सीमित करने में भी मदद की।
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भारत ने कहा है कि अमेरिका अभी भी रूस से उर्वरक, रसायन, यूरेनियम और पैलेडियम खरीद रहा है। इसके अलावा, नई दिल्ली ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत और अमेरिका के बीच एक बेहद खास स्ट्रेटिजिकल रिलेशन है, जो ट्रेड से कहीं आगे तक जाता है।
सरकार ने कहा है कि भारत-अमेरिका संबंध मल्टीलेवल हैं और व्यापार इस “अत्यंत महत्वपूर्ण संबंध” का “केवल एक पहलू” है जो जियो पॉलिटिकल और रणनीतिक पहलुओं पर भी आधारित है। सरकार ने विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति को यह भी सूचित किया है कि भारत-अमेरिका वार्ता के छठे दौर की योजना में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता हो सकता है।