नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग
नई दिल्ली: चीन ने जब से रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर बैन लगाई है, तब से दुनियाभर के उद्योग चिंता में हैं और भारत पर भी इसका खास असर पड़ा है। लेकिन इस समस्या के समाधान को लेकर भारत सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है, जिसके जरिए देश में खुद ही रेयर अर्थ मिनरल्स का उत्पादन किया जा सकें। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार कुल 1000 करोड़ रुपये खर्च कर घरेलू स्तर पर रेयर अर्थ मैग्नेट्स की उत्पादन को बढ़ावा देने वाली है। हेवी इंडस्ट्री मंत्रालय और परमाणु उर्जा विभाग एक साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
ऐसा कहा जा रहा है कि ये प्रोजेक्ट अगले 10 से 15 दिनों में फाइनल हो सकती है। इस योजना के तहत भारत में हर साल 1500 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन होगा। हालांकि, इस प्रोजेक्ट का पूरा खाका अभी सामने नहीं आया है, लेकिन 5 से 6 कंपनियां इसमें अपनी दिलचस्पी दिखाई हैं।
आपको बताते चलें कि आज की दुनिया में रेयर अर्थ मैग्नेट्स बहुत जरूरी हो गए हैं, खासकर ऑटोमोबाइल और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में। हालांकि, अब तक रेयर अर्थ की दुनिया में चीन का एकलौता राज है। हालांकि, अब चीन ने इनके निर्यात को कम किया, तो भारत में कच्चे माल की भारी कमी आ गई। इसलिए अब भारत सरकार का लक्ष्य है कि इन मैग्नेट्स को खुद अपने देश ही उत्पादन करें, ताकि चीन पर निर्भरता को खत्म किया जा सके।
भारत सरकार के इस खास मिशन में India Rare Earth Limited को एक बड़ी भूमिका दी जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, ये कंपनी करीब 500 टन कच्चा माल सीधे मैन्युफैक्चरर्स को सप्लाई करेगी, ताकि घरेलू उद्योग को बिना रुकावट के उत्पादन जारी रख सके। रेयर अर्थ मैग्नेट्स की कमी के कारण भारतीय ऑटोमाइबल सेक्टर के उत्पादन पर प्रभाव पड़ा है। इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने में इस धातु का इस्तेमाल किया जाता है।
अमेरिका में लगे रिश्वतखोरी मामले पर आया अडाणी का जवाब, बोले- आरोप सिद्ध नहीं हुआ
रेयर अर्थ मैग्नेट्स ही नहीं, सरकार बाकी रेयर अर्थ मिनरल्स की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए भी अलग से एक योजना पर काम कर रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट लिए लिए 3500 से 5000 करोड़ रुपये तक का निवेश किया जाएगा। अभी सरकार इसकी इंटर्नल असेसमेंट कर रही है, ताकि जल्द से जल्द इस प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारा जा सके।