पीएम विश्वकर्मा योजना, (फाइल फोटो)
PM Vishwakarma Yojana: पीएम विश्वकर्मा योजना के शुरू होने के दो साल के समय में करीब 30 लाख कारीगरों और शिल्पकारों ने इस स्कीम में पंजीकरण कराया है और 41,188 करोड़ रुपए के 4.7 लाख लोन को मंजूरी दी गई। यह जानकारी सरकार की ओर से दी गई। सरकार ने बताया कि इस योजना के तहत लगभग 26 लाख कारीगरों और शिल्पकारों ने स्किल वेरिफिकेशन पूरा कर लिया है, जिनमें से 86 प्रतिशत ने अपनी बेसिक ट्रेनिंग को पूरा कर लिया है। राजमिस्त्री इस योजना के तहत सबसे अधिक पंजीकृत व्यवसाय है।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना सरकार की एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में उभरी है, जिसने पारंपरिक कारीगरों को समर्थन दिया है और उन्हें सशक्त बनाया है। सरकार के मुताबिक, कुशल श्रमिकों को आवश्यक उपकरणों से सीधे लैस करने और आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए, टूलकिट इनसेंटिव के रूप में 23 लाख से अधिक ई-वाउचर जारी किए गए हैं।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 17 सितंबर, 2023 को विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर शुरू की गई थी, जिसका कुल बजट 13,000 करोड़ रुपए है, जो वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक चलेगी। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना, देश के कारीगरों और शिल्पकारों के कौशल को बढ़ाने के साथ उनके उत्पादों और सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी।
इसका उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को उनके संबंधित व्यवसायों के लिए संपूर्ण सहायता प्रदान करना है। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इन व्यवसायों को प्रोत्साहित करने पर जोर देता है, जिसमें महिला सशक्तिकरण और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, दिव्यांगजन, ट्रांसजेंडर, पूर्वोत्तर राज्यों, द्वीपीय क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों के निवासियों जैसे हाशिए पर या वंचित समूहों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
मंत्रालयों और डीपीएमयू के सहयोग से, यह योजना कारीगरों को विश्वकर्मा के रूप में मान्यता देने, उन्हें कौशल प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण और संपार्श्विक-मुक्त ऋण तक आसान पहुच प्रदान करने के लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित है, साथ ही डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन भी प्रदान करती है। यह ब्रांड प्रचार और बाजार संपर्क पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जिससे कारीगर उत्पादकता, गुणवत्ता और विकास के अवसरों को बढ़ा सकें।
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यह योजना छोटे कारीगरों को एक छत के नीचे लाती है और उन्हें मान्यता प्रदान करके सशक्त बनाती है। यह पहल वित्तीय सहायता, कौशल उन्नयन पर भी केंद्रित है और उन्हें वैश्विक बाजारों से जोड़ती है। इस पहल से सदियों पुरानी परंपराएं प्रतिस्पर्धी दुनिया में फल-फूल सकती हैं, साथ ही अपनी पारंपरिक कला और ज्ञान को भी संरक्षित रख सकती हैं।