
शेयर मार्केट, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Indian Stock Market: भारतीय शेयर बाजार में हाल के महीनों के दौरान एक दिलचस्प और अहम बदलाव देखने को मिला है, जहां एक तरफ विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार भारतीय शेयरों की बिकवाली कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर घरेलू निवेशक खासकर म्यूचुअल फंड और एसआईपी के जरिए बाजार में जमकर निवेश कर रहे हैं। इस ट्रेंड पर कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक उदय कोटक ने भी ध्यान दिलाया है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बेचकर बाहर निकल रहे हैं और उन्हीं शेयरों को भारतीय निवेशक खरीद रहे हैं। उदय कोटक के मुताबिक, अल्पकाल में विदेशी निवेशक ‘स्मार्ट’ नजर आ रहे हैं, क्योंकि डॉलर के लिहाज से देखें तो पिछले एक साल में भारतीय शेयर बाजार का रिटर्न लगभग शून्य रहा है। यानी रुपये में भले ही बाजार ने कुछ रिटर्न दिया हो, लेकिन डॉलर में विदेशी निवेशकों को कोई खास फायदा नहीं मिला है।
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो तस्वीर और साफ हो जाती है। साल 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने करीब 2 लाख करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की है, जबकि इसी अवधि में घरेलू निवेशकों ने एसआईपी और इक्विटी म्यूचुअल फंड के जरिए लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। हर महीने औसतन 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम एसआईपी के जरिए बाजार में आ रही है, जो घरेलू निवेशकों के मजबूत भरोसे को दिखाता है।
हालांकि, विदेशी निवेशकों के नजरिए से समस्या यह है कि भारतीय रुपये में लगातार कमजोरी देखने को मिल रही है। जब विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में निवेश करते हैं, तो वे डॉलर को रुपये में बदलते हैं और जब बाहर निकलते हैं तो उन्हें रुपये को वापस डॉलर में बदलना पड़ता है। रुपये के कमजोर होने की वजह से उन्हें डॉलर के मुकाबले नुकसान झेलना पड़ता है, जिससे उनका कुल रिटर्न डॉलर के हिसाब से शून्य या नकारात्मक हो जाता है।
दूसरी ओर, भारतीय निवेशकों की तस्वीर भी पूरी तरह गुलाबी नहीं है। जिन निवेशकों ने पिछले साल इसी समय एसआईपी शुरू की थी, उन्हें लार्ज कैप फंड्स में औसतन करीब 5 प्रतिशत का ही रिटर्न मिला है, जबकि मिडकैप फंड्स में रिटर्न कई मामलों में निगेटिव रहा है और स्मॉल कैप सेगमेंट पर तो और ज्यादा दबाव देखने को मिला है।
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ऐसे में सवाल यही है कि लंबी अवधि में कौन ज्यादा सही साबित होगा- विदेशी निवेशक, जो फिलहाल रुपये की कमजोरी और वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए सतर्क रुख अपना रहे हैं, या घरेलू निवेशक, जो बाजार की गिरावट को अवसर मानकर नियमित निवेश जारी रखे हुए हैं। उदय कोटक के मुताबिक, इस सवाल का सही जवाब समय के साथ ही सामने आएगा, क्योंकि शेयर बाजार में असली समझ और धैर्य का इम्तिहान हमेशा लंबी अवधि में ही होता है।






