
भारत और यूएई (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने सोमवार को भारत और यूएई के बीच हुई संधि को लेकर विशेष जानकारी दी है। भारत सरकार ने सोमवार को कहा है कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई के बीच साइन की जाने वाली द्विपक्षीय निवेश संधि यानी बीआईटी 31 अगस्त 2024 से लागू हो गई है। साथ ही वित्त मंत्रालय ने ये भी बताया है कि 13 फरवरी को भारत ने यूएई के अबू धाबी में बीआईटी पर साइन किया था और ये 31 अगस्त से लागू हो गई है।
संयुक्त अरब अमीरात के साथ इस समझौते के लागू होने से दोनों देशों के इंवेस्टर्स को हमेशा इंवेस्टमेंट प्रोटेक्शन मिलेगा। भारत और यूएई के बीच दिसंबर 2013 में हस्ताक्षरित द्विपक्षीय निवेश संरक्षण तथा संवर्धन समझौता यानी बीआईपीपीए इस साल 12 सितंबर को खत्म हो गया था। भारत में आने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई में 3 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ यूएई सातवें पायदान पर है। इसमें अप्रैल 2000 से जून 2024 तक करीब 19 अरब अमरीकी डॉलर का संचयी निवेश शामिल है।
Bilateral Investment Treaty between India and the United Arab Emirates, giving continuity of investment protection to investors of both the countries, comes into effect UAE is the seventh largest with a share of 3% in the total Foreign Direct Investment (FDI) received in India,… — PIB India (@PIB_India) October 7, 2024
भारत ने भी अप्रैल 2000 से अगस्त 2024 तक यूएई में अपने कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 5 प्रतिशत यानी 15.26 अरब डॉलर का इंवेस्ट किया है। भारत-यूएई बीआईटी से इंवेस्टर्स के बीच सहजता का लेवल बढ़ने तथा विश्वास में बढ़त होने की उम्मीद है, क्योंकि इसमें न्यूनतम मानक तथा गैर-भेदभाव रुख का आश्वासन दिया जाएगा। साथ ही मध्यस्थता द्वारा विवाद निपटान के लिए एक स्वतंत्र प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराया जाएगा।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘ इस संधि से द्विपक्षीय इंवेस्टमेंट में बढ़त का रास्ता प्रशस्त होने की उम्मीद है, जिससे दोनों देशों के बिजनेस और इकोनॉमी को फायदा होगा।” गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता यानी एफटीए 1 मई 2021 को लागू हुआ था।
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इसमें टैक्सेशन, लोकल सरकार, सरकारी खरीद, सब्सिडी या अनुदान और अनिवार्य लाइसेंस से संबंधित उपायों के लिए बनाई गई उम्मीद भी शामिल है। यदि इंवेस्टमेंट भ्रष्टाचार, फ्रॉड, राउंड ट्रिपिंग से जुड़ा है तो इंवेस्टर्स इसके लिए दावा नहीं कर सकेंगे। हालांकि, इंवेस्टर्स और इंवेस्टमेंट को प्रोटेक्शन देते समय, विनियमन के राज्य के अधिकार के संबंध में बैलेंस बनाए रखा गया है, जिससे पर्याप्त नीतिगत स्थान उपलब्ध हो सके।
(एजेंसी इनपुट के साथ)






