भारत और बांग्लादेश (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के बाद दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। बांग्लोदेश की अंतरिम सरकार ने भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले पहले से स्वीकृत बैंडविड्थ ट्रांजिट समझौते को रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं अब दुश्मनी को बढ़ाने के लिए बांग्लादेश प्याज और आलू के इंपोर्ट के लिए भारत के अलावा दूसरे देशों को विकल्पों के तौर पर देख रहा है।
अगर हालात यूं ही बद से बदतर होने लगे तो बांग्लादेश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। बांग्लादेश में अगर भारत की ओर से निर्यात बंद कर दिया जाए, तो बांग्लादेश में कई चीजों की कमी पड़ जाएगी।
अगर भारत और बांग्लादेश के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ने का असर व्यापारिक रिश्तों पर होता है, तो दोनों देशों के बीच आयात और निर्यात बंद हो सकता है। ऐसा होने पर सबसे ज्यादा नुकसान बांग्लादेश को ही भुगतना पड़ सकता है। आयात और निर्यात रुका तो प्रभाव गेहूं के आयात पर होगा। आपको जानकारी दें कि पड़ोसी देश बांग्लादेश भारत से हर साल टनों से गेहूं इंपोर्ट करता है। साल 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, इस साल बांग्लादेश ने भारत से 119.16 करोड़ डॉलर की कीमत वाले गेहूं का एक्सपोर्ट किया था। जिसका सीधा मतलब ये होगा कि अगर भारत बांग्लादेश के खिलाफ कोई एक्शन लेता है, तो बांग्लादेश की थाली में से रोटी गायब हो जाएगी।
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गेहूं के अलावा बांग्लादेश में चावल की भी कमी आ सकती है। बताया जा रहा है कि भारत से बांग्लादेश में एक्सपोर्ट होने वाली तीसरी ज्यादा चीज चावल है। अगर बांग्लादेश भारत से पंगा लेता है, तो वहां के लोग चावल के दाने दाने को तरस सकते हैं। साल 2021-22 में भारत ने बांग्लादेश में कुल 61.39 करोड़ डॉलर के चावल एक्सपोर्ट करता है।
गेहूं और चावल के अलावा बांग्लादेश में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट चीनी का होता है। अगर भारत बांग्लादेश को चीनी की एक्सपोर्ट करना रोक दें तो बांग्लादेश मिठाईयों के लिए तरस जाएगा। गौरतलब है कि साल 2021-22 में भारत ने बांग्लादेश को 56.59 करोड़ डॉलर की चीनी एक्सपोर्ट की थी। इसके अलावा भी कई ऐसे उत्पाद है, जो भारत से ही बांग्लादेश जाते है। भारत दूध, फल, सब्जिया, मसाले, कॉटन, ऑयल मील्स और बाकी प्रोसेसिंग फूड आइटम्स भी बांग्लादेश को एक्सपोर्ट करता है।