सरवाणा गोल्ड हाउस केस, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Sarvana Gold House Case: मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित एक मामले में चेन्नई की PMLA कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरवणा गोल्ड पैलेस केस में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अटैच की गई करीब 70 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी एक्सिस बैंक को वापस करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना कि एक्सिस बैंक एक वास्तविक सुरक्षित लेनदार (Bona fide secured creditor) है। यानी बैंक ने सही और कानूनी तरीके से लोन दिया था और गिरवी रखी गई संपत्तियों पर उसका क्लेम बनता है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट की धारा 8(8) और 2016 के नियमों के नियम 3A के तहत बैंक को ऐसी संपत्ति पर दावा करने का पूरा हक है। इसी आधार पर कोर्ट ने ED द्वारा की गई अटैचमेंट को हटाते हुए संपत्तियों को एक्सिस बैंक को बहाल करने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद अब 70 करोड़ रुपये की अटैच प्रॉपर्टी आधिकारिक तौर पर फिर से एक्सिस बैंक को मिल जाएगी।
ईडी की जांच के मुताबिक, एक्सिस बैंक ने सरवणा स्टोर्स (गोल्ड पैलेस) को कुल 118.88 करोड़ रुपये का लोन दिया था। इस लोन के बदले बैंक के पास कुछ अचल संपत्तियां गिरवी रखी गई थीं, जो लोन लेने से पहले खरीदी गई थीं। लेकिन साल 2019 में यह लोन एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट-NPA) घोषित हो गया। इसके बाद कराए गए फॉरेंसिक ऑडिट में सामने आया कि कंपनी की बैलेंस शीट्स फर्जी तरीके से बनाई गई थीं।
जांच में गड़बड़ियां सामने आने के बाद ED ने 16 दिसंबर 2022 को उन संपत्तियों को PMLA की धारा 5(1) के तहत अटैच कर लिया। बाद में 6 जून 2023 को इस अटैचमेंट को कन्फर्म भी कर दिया गया। ईडी सरवणा गोल्ड पैलेस और उससे जुड़ी कंपनियों की जांच अभी भी कर रही है। एजेंसी का कहना है कि लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेज़ और गलत बैलेंस शीट्स का इस्तेमाल किया गया था।
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हालांकि, पीएमएलए कोर्ट ने साफ कर दिया है कि बैंक की ओर से प्रस्तुत किए गए कागजात से साफ है कि लोने देने के सभी वैधानिक नियमों को पालन हुआ है। इसलिए यह प्रॉपर्टी का सही हकदार एक्सिस बैंक है और उसे इस संपत्ति मिलनी चाहिए।