बजट में क्या आया विदर्भ के हिस्से। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Maharashtra Budget 2025: राज्य के उपमुख्यमंत्री तथा वित्त व योजना मंत्री अजित पवार द्वारा विधानसभा में तथा वित्त व नियोजन राज्य मंत्री एडवोकेट आशीष जैस्वाल द्वारा विधान परिषद में प्रस्तुत राज्य बजट में विदर्भ के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों में मुख्य रूप से गढ़चिरौली जिले को ‘इस्पात हब’ के रूप में विकसित करना तथा संचार के लिए खनन राजमार्गों का नेटवर्क बनाना शामिल है, जिसके प्रथम चरण में लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत आएगी। गढ़चिरौली जिले के आरमोरी में रेशिम कोष क्रय-विक्रय बाजार स्थापित किया जाएगा।
दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच में गढ़चिरौली जिले के लिए 21,830 करोड़ रुपये के निवेश के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इससे 7,500 नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है। हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहन एवं सुविधाएं प्रदान करने के लिए नागपुर में ‘अर्बन हाट सेंटर’ की स्थापना की जाएगी। नागपुर मेट्रो की लंबाई 40 किमी. 43.80 किलोमीटर लंबी सड़क का पहला चरण पूरा हो चुका है तथा दूसरे चरण में 6,708 करोड़ रुपये की लागत से 43.80 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाएगा।
लंबे समय से कार्य प्रगति पर है। भगवान श्री राम के चरण स्पर्श से पवित्र हुए नागपुर जिले के रामटेक स्थित श्री राम मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है और यहां हर वर्ष सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित करने की योजना है। देशी गायों के पालन, संरक्षण और अनुसंधान के लिए नागपुर जिले के देवलापार स्थित गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र को सहायता प्रदान की जाएगी।
हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे समृद्धि महामार्ग का 99 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। इस राजमार्ग के किनारे एक कृषि-लॉजिस्टिक्स केंद्र विकसित किया जाएगा। यह कोल्ड स्टोरेज, ग्रेडिंग, पैकिंग और निर्यात हैंडलिंग केंद्र की प्रमुख सुविधाएं प्रदान करेगा। इससे मुख्य रूप से विदर्भ के किसानों को लाभ होगा। महाराष्ट्र शक्तिपीठ राजमार्ग वर्धा जिले के पवनार से सिंधुदुर्ग जिले के पत्रादेवी तक 760 किलोमीटर लंबा है। 100 किलोमीटर लंबे और 86,300 करोड़ रुपये की लागत वाले इस राजमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रगति पर है।
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शास्त्रीय मराठी भाषा के अनुसंधान और अध्ययन के लिए अमरावती जिले के रिद्धपुर स्थित मराठी भाषा विश्वविद्यालय में उच्च गुणवत्ता वाला अनुसंधान केंद्र और अनुवाद अकादमी स्थापित की जाएगी। महानुभाव संप्रदाय के पूजा स्थलों को विकसित करने के लिए कार्य किया जाएगा। इसके अंतर्गत महानुभाव संप्रदाय की काशी रिद्धपुर और विदर्भ में महानुभाव संप्रदाय के अन्य स्थलों का विकास किया जाएगा।
विदर्भ में विभिन्न हवाई अड्डों के विकास के लिए भी इस बजट प्रस्ताव में महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इसके अंतर्गत नागपुर से डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निजी भागीदारी से उन्नयन और आधुनिकीकरण किया जा रहा है। इससे यात्री और माल ढुलाई क्षमता बढ़ेगी। इससे विदर्भ के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। अमरावती में बेलोरा हवाई अड्डे का काम पूरा हो चुका है और 31 मार्च 2025 से यात्री सेवाएं शुरू हो जाएंगी। गढ़चिरौली में नए हवाई अड्डे के लिए सर्वेक्षण और अन्वेषण कार्य शुरू हो गया है। अकोला हवाई अड्डे के विस्तार के लिए भी आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।
विदर्भ में सिंचाई विकास के लिए भी महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। गोसीखुर्द राष्ट्रीय परियोजना ने दिसंबर 2024 के अंत तक 12,332 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता सृजित की है और राज्य सरकार ने इस परियोजना को जून 2026 तक पूरा करने की योजना बनाई है। वर्ष 2025-26 के लिए इस परियोजना हेतु 1,460 करोड़ रुपये का परिव्यय प्रस्तावित है।
राज्य सरकार ने महत्वाकांक्षी वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ो परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 88,574 करोड़ रुपये है तथा इसका लाभ क्षेत्र 3,71,277 हेक्टेयर है। इस परियोजना से छह जिले नागपुर, वर्धा, अमरावती, यवतमाल, अकोला और बुलढाणा लाभान्वित होंगे। इस परियोजना के लिए विस्तृत सर्वेक्षण और अन्वेषण कार्य चल रहा है। 19,300 करोड़ रुपये की लागत वाली तापी महापूरणभरण परियोजना से पश्चिमी विदर्भ के खारपाण क्षेत्र के किसानों की आय बढ़ेगी।
राज्य में कुल 18 नए न्यायालय स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें अमरावती जिले के दर्यापुर, वर्धा जिले के आर्वी, नागपुर जिले के काटोल और यवतमाल जिले के वानी स्थित अदालतें शामिल हैं। राज्य को तकनीकी वस्त्रों के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए “महाराष्ट्र तकनीकी वस्त्र मिशन” की स्थापना की जाएगी। इसका उपयोग विदर्भ के कपास किसानों की आय बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
स्वर्गीय बाबा आमटे और साधनाताई आमटे द्वारा स्थापित महारोगी सेवा समिति की अमृत जयंती के अवसर पर आनंदवन को प्रदान किए जाने वाले प्रति रोगी पुनर्वास अनुदान में उल्लेखनीय वृद्धि की जाएगी। जनजातीय विकास योजनाओं की तर्ज पर धनगर और गोवारी समुदायों के लिए कुल 22 कल्याणकारी योजनाएं लागू की जाएंगी। इससे विदर्भ के नाराज धनगर और गोवारी समुदायों को लाभ होगा।