एऑन इंडिया के सर्वे में ये जानकारी सामने आयी है कि भारत समेत कई और बड़े देशों के 9,000 से ज्यादा कर्मचारियों की राय ली गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 82 प्रतिशत कर्मचारी नई नौकरियों की तलाश में हैं।
नई दिल्ली : काम के दबाव के कारण या कई और अन्य कारणों से अक्सर लोग नौकरी बदलना चाहते हैं। वर्तमान में देश में कर्मचारियों की नौकरी को लेकर सोच बहुत ही ज्यादा तेजी से बदल रही है। ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विसेज फर्म एऑन पीएलसी के 2025 एम्पॉलयमेंट सेंटिमेंट स्टडी के अनुसार, भारत में 82 प्रतिशत कर्मचारी या तो नई नौकरी की खोज में हैं या अगले 12 महीनों में वर्तमान कंपनी को छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं। ये आंकड़ा ग्लोबल एवरेज 60 प्रतिशत से कई ज्यादा हैं।
इस सर्वे में भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, ऑस्ट्रेलिया सहित 23 देशों के 9,000 से ज्यादा कर्मचारियों की राय ली गई थी। भारत में नौकरी बदलने की ये प्रवृत्ति इसीलिए भी काफी जरूरी है क्योंकि ये न सिर्फ टैलेंट रिलेशन के लिए कंपनियों का स्ट्रेटेजी को चैलेंज दे रही है, बल्कि भारत को युवा कर्मचारियों की बदलती प्राथमिकताओं को भी उजागर करती है। सर्वे के अनुसार, भारत में 7 प्रतिशत कर्मचारी खुद को कम आंका गया महसूस करते हैं, जबकि ग्लोबल एवरेज 13 प्रतिशत है।
एऑन इंडिया ने नितिन सेठी के अनुसार, कोविड के बाद कर्मचारी कंपनियों की फैसिलिटी, कल्याण और सेहत को ज्यादा महत्व देने लगे हैं। अब ये बातें सिर्फ कंपनी की पॉलिसीज तक लिमिटेड नहीं रही, बल्कि कंपनी की ब्रांडिंग और मूल्य प्रस्ताव का हिस्सा बन गई हैं।
सर्वे में ये भी सामने आया है कि 43 प्रतिशत इंडियन कर्मचारी एआई से संबंधित स्किल सीखना चाहते हैं, जबकि इसका ग्लोबल एवरेज 35 प्रतिशत है। जिसका सीधा मतलब है कि इंडियन एम्पॉलयी टेक्नीक के साथ कदम मिलाने के लिए तैयार हैं, लेकिन 10 प्रतिशत कर्मचारी ये भरोसा नहीं रखते हैं कि उनकी कंपनी उन्हें फ्यूचर के लिए तैयार करने में इंवेस्ट कर रही है। सर्वे में बताया गया है कि 76 प्रतिशत कर्मचारियों ने ये भी कहा है कि वे मौजूदा लाभों का त्याग कर बेहतर ऑप्शन को अपनाना चाहेंगे।
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दुनिया भर में काम करने वाले करोड़ों लोगों के लिए सिक्योरिटी और हेल्थ अब भी एक सपना बना हुआ है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट ये बताती है कि साल 2019 में करीब 29.3 लाख लोगों की मौत काम से जुड़ी बीमारियों या हादसों के कारण से हुई है। इनमें से ज्यादातर लोगों की जान लंबे समय तक काम के दौरान होने वाले बीमारियों के कारण से गई है। इसके अलावा, लगभग 39.5 करोड़ लोग काम करते समय घायल भी हुए हैं।