चीन या अमेरिका, भारत के लिए सबसे जरूरी कौन? (कॉन्सेप्ट फोटो)
India Trade With China And America: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों चीन के दौरे पर हैं, जहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग से उनकी मुलाकात हुई है। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच ग्लोबल ट्रेड को लेकर बातचीत हुई और इसके स्थायित्व पर जोर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से शुरू किए गए टैरिफ युद्ध के बीच पीएम मोदी की यह यात्रा काफी कई मायने में काफी महत्वपूर्ण है। चीन और अमेरिका दोनों ही भारत के सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर हैं।
अमेरिका के 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद भारत ने चीन के साथ ट्रेड बढ़ाने की पॉलिसी पर काम शुरू किया है। वैश्विक बाजार में बदलते इस समीकरण के बीच आइये जानते हैं कि भारत का चीन और अमेरिका के साथ कितना व्यापार है और किसके साथ हमें फायदा और किसके साथ नुकसान है।
गौरतलब है कि ट्रंप ने 7 अगस्त को भारत पर पहले 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया और फिर रूस से तेल खरीदने को लेकर 27 अगस्त से 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दी। इस तरह, भारतीय उत्पादों पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगने के बाद अनुमान लगाया जा रहा कि भारत के करीब 50 से 60 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट प्रभावित होंगे। इस चुनौती के बीच चीन के साथ भारत के ट्रेड रिलेशन को नए सिरे से गढ़ना और भी जरूरी हो जाता है। इसी रणनीति पर आगे बढ़ने की कड़ी के तहत पीएम मोदी 5 साल में पहली बार चीन की यात्रा पर पहुंचे हैं।
यह बात कोरे कागज की तरह साफ है कि भारत का सबसे ज्यादा ट्रेड चीन के साथ होता है। हालांकि, यहां सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हम चीन से खरीदते ज्यादा और बेचते कम हैं। इसी वजह से चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा (Trade Deficit) लगातार बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में चीन के साथ कुल द्विपक्षीय व्यापार 127.7 अरब डॉलर का था, जो 2022-23 के 136 अरब डॉलर से कम रहा है। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष के कुल कारोबार में 99.2 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ, क्योंकि भारत ने चीन को महज 14.3 अरब डॉलर का सामान बेचा, जबकि उससे 113.5 अरब डॉलर का सामान खरीदा. चालू वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से जुलाई तक चीन से 34.9 अरब डॉलर का व्यापार हो चुका है। इस दौरान हमने 5.75 अरब डॉलर का सामान बेचा है, जबकि 40.65 अरब डॉलर का सामान खरीदा है।
चीन के बाद अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर देश है। इसके साथ ही अमेरिका हमारे लिए चीन से ज्यादा अहम भी है। इसकी वजह यह है कि चीन के साथ व्यापार में जहां भारत को घाटे का सामना करना पड़ता है, वहीं अमेरिका के साथ हमारा ट्रेड सरप्लस रहता है। इसका मतलब यह है कि भारत अमेरिका को ज्यादा बेचता है उससे कम खरीदता है।
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वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 86.7 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया, जबकि 42.2 अरब डॉलर का सामान उससे इंपोर्ट किया। इस तरह, भारत को 44.5 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस प्राप्त हुआ है। इस तरह, कुल कारोबार 128.9 अरब डॉलर का रहा, जो चीन से भी अधिक पहुंच गया है। वित्तवर्ष 2023-24 में अमेरिका और भारत का कुल कारोबार 118.28 अरब डॉलर का था।