रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (फाइल फोटो)
मुंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने एक रिपोर्ट में एक सुझाव दिया है। इस रिपोर्ट में सभी बैंकों को रेपो रेट में कटौती का सीधा फायदा कस्टमर्स तक तेजी से पहुंचाते हुए लोन को सस्ता करना चाहिए। पिछली एमपीसी मीटिंग में रेपो रेट में 0.50 परसेंट की कटौती की गई थी, जिसके बाद ये दर 5.50 परसेंट हो गई है।
आरबीआई के जून बुलेटिन में पब्लिश एक आर्टिकल में इस बात पर जोर दिया गया है कि रेपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों तक प्रभावी तरीके से पहुंचाने के लिए वित्तीय स्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं। ज्यादातर बैंक फरवरी और अप्रैल में घोषित दरों में कटौती का लाभ अपने कस्टमर्स तक पहले ही पहुंचा चुके हैं।
भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा यानी बीओबी और एचडीएफसी बैंक सहित कई बड़े बैंक 6 जून को आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की भारी कटौती के कुछ ही दिन के अंदर अपनी स्टैंडर्ड लोन रेट से जुड़ी ब्याज दर में इतनी ही कटौती कर चुके हैं।
इसी महीने रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती के अलावा, आरबीआई ने वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान चरणबद्ध तरीके से नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर में 1 प्रतिशत की कटौती करके इसे शुद्ध मांग और सावधि देयताओं यानी एनडीटीएल के 3 प्रतिशत तक लाने का ऐलान किया था। रिजर्व बैंक के जून, 2025 के बुलेटिन में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ विषय पर पब्लिश किए गए आर्टिकल में कहा गया है कि वित्तीय स्थितियां ब्याज दर में कटौती का लाभ ऋण बाजार तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए अनुकूल बनी हुई हैं।
सीआरआर में कटौती से दिसंबर, 2025 तक बैंकिंग सिस्टम में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की एडिशनल कैश उपलब्ध होगा। आर्टिकल में कहा गया है कि टिकाऊ तरलता प्रदान करने के अलावा, यह बैंकों के लिए फंड के कॉस्ट को कम करेगा, जिससे लोन मार्केट में मौद्रिक नीति संचरण की सुविधा होगी।
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आर्टिकल में कहा गया है कि फरवरी-अप्रैल-2025 के दौरान नीतिगत रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती बैंकों की रेपो से संबद्ध बाहरी मानक आधारित कर्ज दरों यानी ईबीएलआर और कोष की सीमान्त लागत आधारित ऋण दर यानी एमसीएलआर में दिखती है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)