बिहार के सीएम नीतीश कुमार (डिजाइन फोटो)
Bihar Assembly Elections: बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने दशकों तक सत्ता के केंद्र में रहकर राज्य की दिशा और दशा को प्रभावित किया। 1 मार्च 1951 को बख्तियारपुर में जन्मे नीतीश कुमार ने विद्युत इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद राजनीति में कदम रखा और जल्द ही बिहार की राजनीति के सबसे प्रभावशाली चेहरों में शुमार हो गए। फिलहाल वह 2005 से लगातार बिहार की सत्ता में येनकेन प्रकारेण बने रहे हैं। वह बिहार में एक बार फिर से सीएम बनने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करके विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे।
शुरुआत और सामाजिक पृष्ठभूमि नीतीश का जन्म एक अबधिया परिवार में हुआ था। उनके पिता कविराज राम लखन स्वतंत्रता सेनानी और आयुर्वेदाचार्य थे। नीतीश ने NIT पटना से इंजीनियरिंग की डिग्री ली और कुछ समय के लिए बिहार राज्य बिजली बोर्ड में कार्यरत रहे। लेकिन उनका मन राजनीति में था और 1974 के जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भागीदारी निभाई।
1985 में वे पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने। इसके बाद 1989 में लोकसभा पहुंचे और 1990 में केंद्र सरकार में कृषि राज्यमंत्री बने। 1998-99 में रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने गैसाल रेल दुर्घटना के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देकर एक मिसाल कायम की।
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर गठबंधनों के उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। 2000 में वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत न होने के कारण सात दिन में इस्तीफा देना पड़ा। 2005 में उन्होंने राजद शासन को हटाकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और विकास की राजनीति को प्राथमिकता दी। 2010 में भारी बहुमत से जीतकर उन्होंने अपनी लोकप्रियता को साबित किया।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार (सोर्स- सोशल मीडिया)
2014 में लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया और जीतन राम मांझी को उत्तराधिकारी बनाया। लेकिन 2015 में राजनीतिक संकट के चलते वे फिर मुख्यमंत्री बने। 2017 में तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उन्होंने आरजेडी से नाता तोड़कर एनडीए में वापसी की और फिर से मुख्यमंत्री बने।
2020 में एनडीए के साथ चुनाव जीतने के बाद 2022 में उन्होंने फिर से गठबंधन बदला और राजद-कांग्रेस महागठबंधन में शामिल हो गए। 2023 में उन्होंने 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिससे वे बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता बन गए।
हाल ही में राम नवमी के दौरान हुई हिंसा को नजरअंदाज कर इफ्तार पार्टी आयोजित करने पर नीतीश कुमार आलोचनाओं के घेरे में आ गए। भाजपा ने उन पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया और कई हिंदू संगठनों ने उनकी तुलना नीरो से की।
जातीय गणना और सामाजिक समीकरण नीतीश कुमार ने 2023 में बिहार में जाति आधारित गणना की शुरुआत की, जिसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया। उनकी राजनीति हमेशा सामाजिक समीकरणों को साधने पर केंद्रित रही है, खासकर ओबीसी और पसमांदा मुसलमानों के बीच।
व्यक्तिगत जीवन और विरासत नीतीश कुमार का विवाह मंजू कुमारी से हुआ था, जो पटना में शिक्षिका थीं। 2007 में उनका निधन हो गया। नीतीश को ‘मुन्ना’ नाम से भी जाना जाता है। वे एक सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं और अपने गांव से गहरा जुड़ाव रखते हैं।
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नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा अवसरों, संघर्षों और रणनीतिक बदलावों से भरी रही है। वे न केवल बिहार की राजनीति के चाणक्य हैं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक संभावित चेहरा माने जाते रहे हैं। गठबंधन बदलने की उनकी शैली ने उन्हें आलोचना का पात्र भी बनाया, लेकिन उनकी प्रशासनिक दक्षता और विकासपरक दृष्टिकोण ने उन्हें जनता का विश्वास दिलाया है। लेकिन कुछ दिनों से उनकी हरकतों को देखकर उनके स्वास्थ्य को लेकर तरह तरह की अटकलें लगायी जा रही हैं।