
दुलारचंद हत्याकांड में नया मोड़, फोटो- सोशल मीडिया
 
    
 
    
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले मोकामा एक बार फिर गोलियों की आवाज से दहल उठा। जनसुराज और जदयू प्रत्याशी के काफिले आमने-सामने आने के बाद हुई गोलीबारी में जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की मौत हो गई। दुलारचंद के पोते के बयान पर अनंत सिंह समेत पांच लोगों पर केस दर्ज हुआ है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मोकामा में सियासी हलचल तेज हो गई है। जनसुराज पार्टी के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे बिहार के सियासी माहौल को झकझोर दिया है। यह घटना मोकामा विधानसभा क्षेत्र के डगर पर गांव में 31 अक्टूबर 2025 को तब हुई जब जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह और जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी उर्फ लल्लू मुखिया अपने-अपने समर्थकों के साथ जनसंपर्क कर रहे थे।
मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार दोनों काफिलों की गाड़ियां आपस में टकरा गईं और स्थिति कुछ ही मिनटों में बेकाबू हो गई, जिसके बाद गोली चली और दुलारचंद यादव को गोली लगी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, उनकी मौत मौके पर ही हो गई थी।
हत्या के बाद मोकामा और आसपास के इलाकों में भारी तनाव फैल गया है। मृतक के पोते, रवि रंजन यादव ने जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह पर सीधा आरोप लगाते हुए इसे प्री-प्लान्ड मर्डर बताया है। रवि रंजन के अनुसार, अनंत सिंह उनके दादा की जनसुराज से जुड़ाव और बढ़ती सक्रियता से नाराज थे। परिवार ने आरोप लगाया है कि अनंत सिंह के लोगों ने पहले गोली मारी और फिर गाड़ी चढ़ाकर दुलारचंद की हत्या कर दी।
पुलिस ने मृतक के पोते के बयान पर अनंत सिंह, उनके दो भतीजों रणवीर और कर्मवीर समेत कुल पांच लोगों पर हत्या की प्राथमिकी दर्ज की है। रवि रंजन ने बताया कि गोली कर्मवीर और राजवीर नामक दो लोगों ने मारी थी। हालांकि, पुलिस ने अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं की है। रणवीर और कर्मवीर दोनों ही अनंत सिंह के साथ रहते हैं।
दुलारचंद यादव मोकामा टाल क्षेत्र के निवासी थे और 90 के दशक में डर और ताकत दोनों का प्रतीक माने जाते थे। ताड़तर गांव के निवासी दुलारचंद पर हत्या और हत्या के प्रयास जैसे कई संगीन मामले दर्ज थे। एक समय उन्हें ‘मोकामा टाल का आतंक’ भी कहा जाता था। हाल के वर्षों में उन्होंने जनसुराज आंदोलन से नाता जोड़ा और पीयूष प्रियदर्शी के सक्रिय समर्थक बन गए। उन्होंने पार्टी के लिए एक प्रचार गीत भी रिकॉर्ड करवाया था।
राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा था कि उनका जनसुराज से जुड़ना स्थानीय समीकरणों को प्रभावित कर रहा था और पुराने समीकरणों में खलबली मचा रहा था। उनकी हत्या ने बिहार में एक बार फिर बाहुबल बनाम राजनीति की बहस को जिंदा कर दिया है।
जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह ने हत्या के आरोपों से साफ इनकार किया है। अनंत सिंह ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि जब वह चुनाव प्रचार कर लौट रहे थे तो वह आगे निकल गए थे, जबकि पीछे रह गई उनके काफिले की गाड़ियों को जनसुराज पार्टी समर्थकों ने घेर लिया और पत्थरों से हमला कर दिया था।
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उन्होंने यह भी कहा कि झगड़े की पहल दुलारचंद यादव ने ही की थी। अनंत सिंह ने इस पूरी घटना को राजद नेता सूरजभान सिंह की साजिश भी बताया है, हालांकि सूरजभान ने इस आरोप पर कुछ भी कहने से मना कर दिया।
अनंत सिंह की ओर से भी प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें पीयूष प्रियदर्शी सहित पांच नामजद एवं अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। जनसुराज समर्थकों ने आरोप लगाया है कि यह हत्या लोकतंत्र की हत्या है और चुनाव से पहले विपक्षी दलों में भय पैदा करने की साजिश है। घटना के बाद प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी है और कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।






