
रफीगंज विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Rafiganj Assembly Constituency: रफीगंज विधानसभा क्षेत्र, बिहार के औरंगाबाद जिले के रफीगंज नगर में पड़ता है और यह सीट राज्य की राजनीति में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह न केवल चुनावी समीकरणों के लिए, बल्कि अपनी ऐतिहासिक और व्यापारिक पृष्ठभूमि के कारण भी चर्चा में रहती है। रफीगंज नगर की स्थापना 19वीं सदी में एक स्थानीय जमींदार रफीउद्दीन अहमद ने धवा नदी के किनारे बसी इस बस्ती को अनाज के गोदाम के रूप में स्थापित किया और इसे एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में तब्दील कर दिया। भारतीय रेलवे के उल्लेखों में यह नगर ‘रफी का गंज’ के नाम से दर्ज है, और 1892 तक यह पूरी तरह से रफीगंज हो गया।
रफीगंज विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी, और यह औरंगाबाद लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक है। अपनी स्थापना के बाद से हुए 17 विधानसभा चुनावों में यहां विभिन्न दलों का वर्चस्व रहा है। पहले यहां भी कांग्रेस का दबदबा रहा। शुरुआती दौर में कांग्रेस ने सर्वाधिक 6 बार जीत हासिल की, जो राष्ट्रीय स्तर पर उसके प्रभाव को दर्शाता है। फिर समाजवादी और क्षेत्रीय दल अपनी पकड़ बनाने लगे। राजद और जेडीयू ने तीन-तीन बार जीत हासिल की, जबकि जनता पार्टी ने दो बार तथा स्वतंत्र पार्टी, सीपीआई, और भारतीय जन संघ ने एक-एक बार जीत दर्ज की।
यह चुनावी इतिहास बताता है कि रफीगंज की जनता ने समय-समय पर विभिन्न विचारधाराओं पर भरोसा जताया है, लेकिन हाल के वर्षों में यह सीट क्षेत्रीय दलों के बीच कड़े मुकाबले का केंद्र बन गई है।
बिहार पॉलिटिक्स में रफीगंज सीट पर हाल के वर्षों में राजद (RJD) का प्रभुत्व बढ़ा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के मोहम्मद निहालुद्दीन ने लोजपा-समर्थित निर्दलीय प्रमोद कुमार सिंह को लगभग साढ़े नौ हजार वोटों के अंतर से हराया। इस चुनाव में जदयू के दो बार के पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह आधे मतों पर सिमट गए, जो इस क्षेत्र में महागठबंधन की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
इस रुझान की पुष्टि 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों से भी होती है। रफीगंज विधानसभा खंड पर राजद ने भाजपा पर 19 हजार से ज्यादा वोटों की बढ़त बनाई थी, जिसने आगामी Bihar Assembly Election 2025 के लिए इस सीट पर राजद की स्थिति को मजबूत किया है और विपक्षी दलों को यहां अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए मजबूर किया है।
चुनाव आयोग द्वारा 2024 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 387.58 वर्ग किमी के इस प्रखण्ड में रफीगंज की कुल आबादी 5,76,805 है, जिसमें 3,03,076 पुरुष और 2,73,729 महिलाएं हैं। बिहार निर्वाचन आयोग के अनुसार, रफीगंज में कुल मतदाताओं की संख्या 3,39,817 है। आबादी के हिसाब से यहां मतदाताओं का अनुपात 0.59 है, जो एक मजबूत लोकतांत्रिक भागीदारी का संकेत देता है।
रफीगंज विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी और ज्वलंत समस्याएं बेरोजगारी और पलायन हैं। व्यापारिक केंद्र होने के बावजूद, स्थानीय स्तर पर बड़े उद्योगों का अभाव है, जिसके कारण युवा बेहतर रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं। इन स्थायी समस्याओं के अलावा, सड़क, बिजली, पानी, कृषि-सिंचाई, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं भी प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं।
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए, रफीगंज सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है। जहाँ राजद अपने वर्तमान विधायक मोहम्मद निहालुद्दीन पर भरोसा जता सकती है, वहीं जदयू के प्रमोद कुमार सिंह (जो शायद अब एनडीए गठबंधन का हिस्सा होंगे) इस सीट को वापस जीतने के लिए कड़ी चुनौती पेश करेंगे।
यह सीट मुस्लिम, यादव, और अन्य ओबीसी समुदायों के जातीय समीकरणों पर निर्भर करती है। राजनीतिक दलों द्वारा इस सीट पर पूरी ताकत झोंकने का मुख्य कारण यह है कि यहां जीत औरंगाबाद जिले की राजनीति को प्रभावित करती है और यह बिहार पॉलिटिक्स में महागठबंधन की मजबूती का प्रतीक बन चुकी है।
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रफीगंज विधानसभा सीट अपनी ऐतिहासिक पहचान, मजबूत व्यापारिक पृष्ठभूमि और राजद के बढ़ते प्रभुत्व के कारण बिहार चुनाव में एक महत्वपूर्ण सीट है। बेरोजगारी और पलायन जैसे स्थानीय मुद्दे ही इस चुनावी संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। यह सीट Bihar Assembly Election 2025 में एक कड़े मुकाबले की गवाह बनने वाली है, जहाँ विकास की मांग और जातीय समीकरणों की टक्कर होगी।






