
नोखा विधानसभा सीट, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Nokha Assembly Constituency: बिहार के रोहतास जिले की नोखा विधानसभा सीट (Nokha Vidhan Sabha Seat) पर चुनाव की सरगर्मी तेज है। यह सीट काराकाट लोकसभा के अंतर्गत आती है, जहाँ 11 नवंबर को मतदान होगा।
इस बार राजद जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में है, जबकि जदयू पहली जीत हासिल करने के लिए मैदान में है। जन सुराज पार्टी के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, जिससे इस बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
नोखा विधानसभा सीट पर अब तक 17 चुनाव हुए हैं, जो इसकी लंबी राजनीतिक विरासत को दर्शाते हैं। शुरुआती दौर (1952 से 1985) तक यहाँ मुख्य रूप से कांग्रेस और जनता पार्टी का वर्चस्व रहा। कांग्रेस ने 6 बार और जनता पार्टी ने 3 बार जीत हासिल की। 1952 से 1969 तक कांग्रेस ने लगातार चार बार जीत दर्ज की, जो इस पार्टी की मजबूत पकड़ को दर्शाता है। हालांकि, 1985 का चुनाव कांग्रेस के लिए आखिरी जीत साबित हुई। इसके बाद, 1990 और 1995 में जनता दल ने यहां परचम लहराया।
2000 का दौर आया तो भाजपा ने नोखा में अपनी जमीन मजबूत की। उस साल पार्टी को पहली बार जीत मिली थी, और फिर 2010 तक लगातार चार चुनाव (2000, 2005 फरवरी, 2005 अक्टूबर, 2010) जीतकर भाजपा ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी। नोखा ने भाजपा को एक मजबूत गढ़ दिया था।
लेकिन, 2015 बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Election) में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने नोखा में अपना खाता खोला और 2020 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट को बरकरार रखा। इस बार राजद के पास नोखा में जीत की हैट्रिक लगाने का सुनहरा मौका है।
नोखा सीट पर इस बार मुकाबला काफी रोचक हो गया है। राजद ने नोखा से मौजूदा विधायक अनीता देवी पर फिर से भरोसा जताया है। वहीं, इस बार यहाँ से भाजपा की जगह जदयू चुनाव लड़ रही है। जदयू (JDU) ने नागेंद्र चंद्रवंशी को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिसने अभी तक नोखा में कोई जीत हासिल नहीं की है। सबसे खास बात यह है कि जन सुराज पार्टी से नसरुल्लाह खान के चुनावी मैदान में उतरने से नोखा विधानसभा सीट पर मुकाबला सीधे तौर पर त्रिकोणीय बन चुका है। यह त्रिकोणीय संघर्ष किसी भी पार्टी के समीकरण को बिगाड़ सकता है, जिससे बिहार पॉलिटिक्स में यह सीट चर्चा का विषय बनी हुई है।
नोखा विधानसभा क्षेत्र सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि अपने व्यापारिक और धार्मिक महत्व के कारण भी जाना जाता है। विक्रमगंज, नासरीगंज और दाऊदनगर जैसे कस्बे यहाँ की जनता के लिए मुख्य बाजार और व्यापारिक केंद्र हैं।
धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो नोखा नगर में मां काली का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इसके अलावा, यहां आस्था का मुख्य केंद्र तेंदुआ गांव में पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का मंदिर है। बताया जाता है कि इस मंदिर से बनारस और गया के बीच की दूरी लगभग बराबर है, जो इसकी महत्ता को बढ़ाता है। यहां लगने वाला मेला भी दूर-दूर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
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नोखा विधानसभा सीट पर मतदाता 11 नवंबर को अपना फैसला करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राजद जीत की हैट्रिक लगाएगी, जदयू अपना खाता खोलेगी, या फिर कोई नया चेहरा इस सीट पर कब्जा करेगा।






