
मोतिहारी विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Motihari Assembly Constituency: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले का मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक ऐतिहासिक नगरी है, बल्कि आगामी Bihar Assembly Election 2025 में भी यह एक प्रमुख चुनावी रणभूमि बन चुका है। इस क्षेत्र की राजनीतिक चेतना और ऐतिहासिक विरासत इसे बिहार पॉलिटिक्स में एक विशेष स्थान दिलाती है।
मोतिहारी का नाम सीधे तौर पर स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ा है। कभी एकीकृत चंपारण जिले का मुख्यालय रहा यह शहर 1972 में पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में विभाजित हुआ। इस शहर की सबसे बड़ी पहचान यह है कि 1917 में दक्षिण अफ्रीका से लौटे मोहनदास करमचंद गांधी ने यहीं ब्रिटिश जमींदारों द्वारा थोपी गई नील की खेती (तीनकठिया प्रणाली) के खिलाफ अपना पहला सत्याग्रह शुरू किया था।
किसानों के भीषण शोषण के विरुद्ध यह अहिंसक विद्रोह न केवल स्थानीय अन्याय के खिलाफ एक आवाज़ थी, बल्कि तीन दशक बाद भारत की आजादी की नींव भी बना। यह कहा जाता है कि ‘चंपारण न होता तो गांधी महात्मा न बनते।’ आज भी गांधी आश्रम, भितिहरवा और नीलहा स्मारक पर्यटकों को इतिहास की याद दिलाते हैं। यह गौरवशाली विरासत मतदाताओं में गर्व की भावना जगाती है, जो उम्मीदवारों से न्याय और विकास की अपेक्षा रखते हैं।
मोतिहारी विधानसभा का चुनावी इतिहास तीन प्रमुख चरणों में बंटा रहा है:–
1- कांग्रेस का गढ़ (1952-1980): शुरुआती दौर में यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही। कांग्रेस ने आठ में से सात चुनाव जीते, केवल 1969 को छोड़कर जब जनसंघ विजयी हुआ था।
2- सीपीआई का दबदबा (1980-1995): 1980 के दशक में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) का दबदबा रहा। पार्टी के दिग्गज नेता त्रिवेणी तिवारी ने इस दौरान 1985 से 1995 के बीच लगातार तीन बार जीत हासिल की।
3- भाजपा का किला (2005 से अब तक): 2000 में राजद ने सीट पर कब्जा किया, लेकिन 2005 से भाजपा ने किला फतह कर लिया। वर्तमान विधायक प्रमोद कुमार ने 2005, 2010, 2015 और 2020 में लगातार चार बार जीत दर्ज की है। 2020 में उन्होंने राजद के ओम प्रकाश चौधरी को 14,645 वोटों से हराया था, जो उनकी लगातार बढ़ती लोकप्रियता और भाजपा के मजबूत किला बनने की पुष्टि करता है।
पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र (जिसमें 6 विधानसभा सीटें हैं) में भी भाजपा ने 2020 में 4 सीटें जीती थीं और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी 5 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई, जो मोतिहारी और पूरे जिले में भाजपा के वर्चस्व को प्रदर्शित करता है।
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 5,45,580 है। कुल मतदाताओं की संख्या 3,31,575 है, जिसमें युवा और महिला मतदाताओं की भूमिका निर्णायक है। ग्रामीण बहुल इस सीट पर 2020 में 59.67 प्रतिशत मतदान दर दर्ज की गई थी, जो यहां के लोगों की राजनीतिक सक्रियता को दर्शाता है।
हालांकि यह ऐतिहासिक और प्रशासनिक केंद्र है, लेकिन यहां के मुद्दे आज भी ग्रामीण इलाकों में देखे जा सकते हैं…
1-बाढ़ नियंत्रण और गंडक नदी का कटाव : हर साल बाढ़ और नदी के कटाव से भारी नुकसान होता है। लेकिन नेता व सरकारें केवल वादा करती रहती हैं, जबकि लोग स्थायी समाधान चाहते हैं।
2- बेरोजगारी और लोगों का पलायन : रोजगार के अवसरों की कमी के कारण यहां से बड़ी संख्या में युवा दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं।
3- कृषि में सिंचाई संकट: सिंचाई की पर्याप्त सुविधा का अभाव कृषि को प्रभावित करता है।
ये मुद्दे Bihar Assembly Election 2025 में प्रमोद कुमार के लिए पांचवीं जीत की राह में चुनौती बन सकते हैं। विपक्षी दल इन मुद्दों को उठाकर भाजपा के किले को तोड़ने की कोशिश करेंगे।
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आप जानते हैं कि मोतिहारी विधानसभा सीट न केवल महात्मा गांधी के पहले सत्याग्रह की भूमि है, बल्कि यह बिहार पॉलिटिक्स में भाजपा के एक महत्वपूर्ण गढ़ के रूप में स्थापित हो चुकी है। आगामी बिहार चुनाव में प्रमोद कुमार की लगातार पांचवीं जीत की तलाश एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाने के करीब होगी। हालांकि, बाढ़, पलायन और विकास के अनसुलझे मुद्दे ही इस चुनावी जंग में हार-जीत का अंतिम फैसला करेंगे।






