बिहार BJP में टिकट पर महामंथन, शाह के मॉडल पर बनी लिस्ट (कॉन्सेप्ट फोटो- सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी चुनावी गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं। उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी ने दो दिनों तक मैराथन बैठक की, जिसमें टिकट के दावेदारों की पहली लिस्ट तैयार कर ली गई है।रीब 15 घंटे तक चली इस जिलावार समीक्षा बैठक के बाद जो सबसे बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है, वह यह है कि पार्टी के लगभग डेढ़ दर्जन मौजूदा विधायकों का टिकट कट सकता है। इस खबर ने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
यह पूरी कवायद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए मॉडल के तहत की गई, जिसका उद्देश्य चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और जमीनी हकीकत को समझना था। इस मैराथन बैठक के लिए प्रदेश कोर कमेटी को दो ग्रुप में बांटा गया था, जिसका नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी जैसे बड़े नेताओं ने किया। बैठक में हर जिले के प्रमुख नेताओं से उनकी राय ली गई और यह समझने की कोशिश हुई कि जमीनी मुद्दे क्या हैं और सरकार के कामकाज का कितना असर है।
बैठक में टिकट के दावेदारों की लंबी सूची पर भी मंथन हुआ। सूत्रों के अनुसार, औसतन हर विधानसभा सीट से 5 से 7 मजबूत दावेदारों के नाम सामने आए, जबकि कुछ सीटों पर यह संख्या 10 से भी अधिक थी। कोर कमेटी ने स्पष्ट कर दिया कि टिकट उसी को मिलेगा, जिसके नाम पर जिला स्तर पर सबसे ज्यादा सहमति बनेगी और कम से कम विरोध होगा। दावेदारों की संगठनात्मक पकड़, सामाजिक समीकरण और जनता के बीच उनकी छवि को शॉर्टलिस्टिंग का मुख्य आधार बनाया गया है। माना जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व हर सीट से 4 से 5 नामों का पैनल बनाकर केंद्रीय नेतृत्व को भेजेगा।
यह भी पढ़ें: बिहार चुनाव में तेजस्वी ने चला ‘MAA’ कार्ड, महिलाओं को मकान, अनाज और आमदनी का वादा
सूत्रों की मानें तो लगभग 15 से 18 मौजूदा विधायकों पर अपनी उम्मीदवारी बचाने का संकट है। टिकट कटने की सूची में सबसे ऊपर वे विधायक हैं, जिनकी भूमिका 2024 के शक्ति परीक्षण के दौरान संदिग्ध रही थी या जो पार्टी के प्रति वफादार साबित नहीं हुए हैं। इसके अलावा, 70 साल से ज्यादा उम्र के निष्क्रिय विधायकों और 2020 के चुनाव में बहुत कम वोटों के अंतर से जीतने वाले विधायकों की सीटों का भी रिव्यू किया जा रहा है। पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि परिवारवाद को तरजीह नहीं दी जाएगी और जीत की क्षमता ही टिकट का एकमात्र पैमाना होगा।