
बिहार विधानसभा चुनाव, 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Hilsa Assembly Constituency: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार नालंदा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली हिलसा विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी रोमांचक और कांटेदार होने वाला है। यह सीट न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी इसका खास महत्व है, क्योंकि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में स्थित है। इस बार यहां नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बीच सीधी और कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है। वहीं, ‘जनसुराज’ पार्टी ने भी ताल ठोककर इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
हिलसा विधानसभा क्षेत्र में अब तक कुल 16 बार चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रभाव साफ तौर पर दिखाई देता है। उनकी पार्टी, समता पार्टी (जो बाद में जदयू में मिल गई थी) ने इस सीट पर पांच बार जीत हासिल की है। यह सीट हमेशा से विभिन्न राजनीतिक दलों का अखाड़ा रही है।
सबसे अधिक जीत: समता पार्टी-जेडीयू ने 5 बार जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस ने 4 बार यह सीट जीती है। वहीं एक-एक बार जीत हासिल करने वालों में जनसंघ, बीजेपी, आरजेडी, जनता पार्टी और जनता दल शामिल हैं। सभी इस सीट पर एक-एक बार जीत दर्ज की है।
इस सीट पर पिछली बार यानी 2020 के विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। उस चुनाव में जेडीयू के उम्मीदवार कृष्ण मुरारी शरण ने आरजेडी के शक्ति सिंह यादव को बहुत ही कम अंतर से हराकर जीत हासिल की थी।
इस बार हिलसा विधानसभा क्षेत्र में तीन प्रमुख उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होने की संभावना है, जिससे चुनावी जंग काफी दिलचस्प हो गई है। माना जा रहा है कि मौजूदा विधायक के लिए यह सीट उतनी आसान नहीं होने वाली है।
हिलसा की राजनीति में जातिगत समीकरणों का बड़ा महत्व है। यहां के चुनावी नतीजों में कुर्मी और यादव मतदाताओं की भूमिका निर्णायक मानी जाती है। इसके अलावा, पासवान, रविदास और भूमिहार समुदाय के वोटरों की संख्या भी महत्वपूर्ण है, जो चुनाव की दिशा तय करने में अहम रोल निभाते हैं।
हिलसा विधानसभा क्षेत्र में चार मुख्य प्रखंड (ब्लॉक) शामिल हैं, जिसमें हिलसा, करायपरसुराय, थरथरी और परवलपुर शामिल है। यह कस्बा सोन और फल्गु नदियों के निकट बसा हुआ है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाता है। प्राचीन काल में इस जगह को ‘हलधरपुर’ के नाम से जाना जाता था, जिसका ऐतिहासिक जुड़ाव द्वापर युग तक माना जाता है। यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थल, जैसे सूर्य मंदिर, काली मंदिर और बाबा अभयनाथ मंदिर, क्षेत्र की गहरी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
हिलसा के पास स्थित तेलहाड़ा एक बेहद खास ऐतिहासिक स्थल है, जहाँ खुदाई के दौरान एक प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष मिले थे। माना जाता है कि यह विश्वविद्यालय गुप्तकाल या पाल वंश के समय का था और इसकी गिनती नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के समकक्ष की जाती थी। इसके अलावा, यहाँ का औंगारी धाम सूर्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। इस स्थल से धार्मिक और पौराणिक मान्यता भी जुड़ी हुई है, जिसका संबंध भगवान श्री कृष्ण के पौत्र राजा साम्ब से भी माना जाता है।
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हिलसा विधानसभा क्षेत्र की यही ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर, इसकी राजनीतिक हलचल के साथ मिलकर, चुनावी प्रक्रिया को और भी ज्यादा रोमांचक बना देती है। इस बार तीन प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में हैं, जो इस सीट की राजनीतिक जंग को एक नया आयाम देंगे।






