मोतिहारी में बापू के परपोते तुषार गांधी का अपमान (सोर्स- सोशल मीडिया)
Tushar Gandhi: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली मोतिहारी में बापू के परपोते तुषार गांधी का घोर अपमान किया गया है। इस दौरान कई स्थानीय लोग तुषार गांधी का अपमान करने वाले मुखिया को समझाते भी दिखे। महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी को सभा से अपमानित कर वापस भेज दिया गया।
हालाँकि, वहाँ मौजूद लोगों के समझाने का मुखिया पर कोई असर नहीं हुआ। मुखिया ने तुषार गांधी का अपमान किया और उन्हें सभा स्थल पंचायत भवन से बाहर निकाल दिया। इस दौरान तुरकौलिया उत्तरी मुखिया विनय कुमार साह और महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी के बीच तीखी बहस भी हुई।
दरअसल, तुषार गांधी ने 12 तारीख को भितिरवा आश्रम से अपनी पदयात्रा शुरू की है। पदयात्रा के क्रम में तुषार गांधी तुरकौलिया पहुँचे जहाँ उन्होंने ऐतिहासिक नीम के पेड़ को देखा। इस ऐतिहासिक नीम के पेड़ को देखने के बाद, मुखिया के आह्वान पर तुषार गांधी आम लोगों के बीच उनके पंचायत भवन पहुँचे।
पंचायत भवन में आयोजित सभा में तुषार गांधी अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। तभी उनके साथ चल साथ चल रहे एक व्यक्ति ने जैसे ही नीतीश सरकार को बदलने की बात कही, मुखिया जी भड़क गए और सीधे तुषार गांधी को अपमानित करना शुरू कर दिया। कई स्थानीय लोगों ने मुखिया विनय साह को समझाने की कोशिश की, लेकिन मुखिया ने किसी की नहीं सुनी और अंततः तुषार गांधी वहाँ से वापस चले गए।
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आज चम्पारण शर्मसार हो गया!
वह जगह जहां से महात्मा गांधी ने सत्याग्रह की शुरुआत करके अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंका था, उसी धरती पर उनके प्रपौत्र Tushar Arun Gandhi को अपमानित करने की कोशिश की गई। तुषार… pic.twitter.com/zfzXhCsnP2 — Anita yadav (@Anitahzb) July 14, 2025
तुषार गांधी के अपमान की घटना पर सभा में मौजूद कई स्थानीय लोगों ने मुखिया को समझाने की कोशिश की और मुखिया से तुषार गांधी से माफ़ी मांगने को भी कहा, लेकिन मुखिया ने किसी की नहीं सुनी। मामला बिगड़ता देख तुषार गांधी वहाँ से वापस लौट गए।
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आपको बता दें कि तुषार गांधी एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। फ़िलहाल वे अपनी पदयात्रा पर हैं। नरकटियागंज में नागरिक जागरूकता सभा को संबोधित करते हुए तुषार गांधी ने केंद्र और राज्य सरकार पर लोकतंत्र की नींव को कमज़ोर करने का गंभीर आरोप भी लगाया। चंपारण सत्याग्रह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह हमारे पूर्वजों ने आंदोलन किया था, उसी तरह अब हमें एक बार फिर संघर्ष के लिए तैयार होना होगा।