बिस्फी विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
Babubarhi Assembly Constituency Profile: बिहार के उत्तरी भाग में नेपाल की सीमा के निकट स्थित बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र मधुबनी जिले का एक अहम हिस्सा है। यह क्षेत्र बाबूबरही और लदनिया सामुदायिक विकास खंडों के साथ-साथ खजौली प्रखंड की सात ग्राम पंचायतों को भी शामिल करता है। बाबूबरही प्रखंड में 20 और लदनिया में 15 ग्राम पंचायतें आती हैं, जो इस क्षेत्र की प्रशासनिक विविधता को दर्शाती हैं।
बाबूबरही क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित बलिराजगढ़ पुरातात्विक स्थल को पौराणिक असुर राजा बलि की राजधानी माना जाता है। राजा पद्मसिंह की राजधानी धरहरवा डीह, लक्ष्मी नारायण मंदिर, सर्रा का मदनेश्वर स्थान मंदिर और खोजपुर का सोमनाथ महादेव मंदिर इस क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं। पिपराघाट के त्रिवेणी संगम पर कार्तिक मास में आयोजित कल्पवास और कार्तिक पूर्णिमा मेला स्थानीय आस्था और परंपरा का प्रतीक हैं।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर इस क्षेत्र की आध्यात्मिक धरोहर का केंद्र है। यह मंदिर कपिल मुनि के नाम पर स्थापित है, जिन्होंने ‘सांख्य दर्शन’ की रचना की थी। जनश्रुति के अनुसार, मिथिला के राजा जनक प्रतिदिन यहां जलाभिषेक करने आते थे, जिससे इसे ‘मिथिला का बाबाधाम’ भी कहा जाता है।
बाबूबरही जिला मुख्यालय मधुबनी से लगभग 35 किलोमीटर और दरभंगा से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन खजौली है, जो लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर है। राज्य की राजधानी पटना यहां से दक्षिण-पश्चिम में लगभग 180 किलोमीटर दूर है, जिससे यह क्षेत्र राज्य के प्रमुख प्रशासनिक केंद्रों से जुड़ा हुआ है।
इस क्षेत्र की अधिकांश आबादी ग्रामीण है और आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। धान, गेहूं और दालें यहां की प्रमुख फसलें हैं। कृषि न केवल आर्थिक गतिविधियों का आधार है, बल्कि स्थानीय संस्कृति में भी इसकी गहरी जड़ें हैं।
1977 में लदनिया निर्वाचन क्षेत्र के विघटन के बाद बाबूबरही को एक अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में गठित किया गया। तब से अब तक यहां 12 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2003 का एक उपचुनाव भी शामिल है। शुरुआती वर्षों में समाजवादी विचारधारा का प्रभाव रहा, जिसमें देव नारायण यादव ने प्रमुख भूमिका निभाई। वे 1990, 1995 और 2000 में लगातार विधायक चुने गए और लंबे समय तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे।
पिछले कुछ चुनावों से बाबूबरही में राजद और जदयू के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला है। पिछली बार जदयू ने मीना कामत को टिकट दिया, जो पूर्व मंत्री कपिलदेव कामत की बहू हैं। राजद ने उमाकांत यादव को मैदान में उतारा, लेकिन मीना कामत ने जीत दर्ज की। यह परिणाम जदयू की क्षेत्रीय पकड़ को दर्शाता है, जबकि राजद की चुनौती अब भी बनी हुई है।
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बाबूबरही विधानसभा सीट पर राजनीतिक मुकाबला लगातार रोचक होता जा रहा है। सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व और स्थानीय मुद्दों के बीच यहां की जनता का रुझान आगामी चुनाव में किस ओर जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा। जदयू अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में है, जबकि राजद फिर से वापसी की रणनीति बना रहा है।