क्या है PM Modi का सपना। (सौ. Design)
नवभारत ऑटोमोबाइल डेस्क: पूरी दुनिया की तरह भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मांग तेजी से बढ़ रही है। देश की लगभग हर ऑटोमोबाइल कंपनी इलेक्ट्रिक कारों को लेकर अपने प्लान बना रही है। कुछ कंपनियों ने अपनी ईवी कारें लॉन्च कर दी हैं, तो कुछ जल्द ही अपनी इलेक्ट्रिक कारें भारतीय बाजार में उतारने की तैयारी में हैं। वहीं, केंद्र सरकार ने 2030 तक भारत को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में अग्रणी बनाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह लक्ष्य हकीकत में बदलेगा? क्योंकि मौजूदा ईवी बाजार में जो कारें पेश की जा रही हैं, वे आम भारतीय उपभोक्ता की पहुंच से बाहर हैं।
भारत में एक बड़ी आबादी लोअर मिडिल क्लास से ताल्लुक रखती है, जो किफायती कारों की तलाश में रहती है। ऐसे में सस्ती इलेक्ट्रिक कारें भारतीय बाजार की जरूरत हैं। हालांकि, मौजूदा ईवी बाजार को देखें तो कंपनियों का ज्यादा फोकस लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों पर है, जिनकी कीमतें काफी ज्यादा हैं।
भारत में लॉन्च होने वाली अधिकतर इलेक्ट्रिक कारों की कीमत 15 लाख रुपये से अधिक है। उदाहरण के लिए—
इससे साफ है कि भारतीय बाजार में 5-10 लाख रुपये के बीच आने वाली सस्ती इलेक्ट्रिक कारों की अभी भी भारी कमी है।
कई ऑटोमोबाइल कंपनियां चीन के ईवी बाजार से प्रेरणा लेते हुए इलेक्ट्रिक कारों की लागत को कम करने पर काम कर रही हैं। JSW MG Motor India के सीईओ एमिरट्स राजीव चाबा ने बताया कि कंपनी ने ‘बैटरी एज ए सर्विस’ (Battery as a Service) मॉडल पर काम किया है, जिससे ईवी की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि ईवी की सबसे महंगी चीज बैटरी होती है। इसलिए कंपनी ने विंडसर मॉडल के साथ 3 साल बाद 60% बायबैक प्लान पेश किया है, जिससे ग्राहक को 3 साल बाद अपनी कार की कीमत का 60% मिल सकेगा। साथ ही, बैटरी पर लाइफटाइम वारंटी का भी ऑफर दिया गया है।
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भारत में ईवी बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन आम लोगों के लिए किफायती इलेक्ट्रिक कारें अभी भी दूर की कौड़ी हैं। अगर सरकार और कंपनियां मिलकर कम कीमत वाले ईवी सेगमेंट पर ध्यान देती हैं, तो 2030 तक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का सपना हकीकत में बदल सकता है।