हूती विद्रोही की फोटो (सो. सोशल मीडिया)
UAE Proxy Militia Yemen: मिडिल ईस्ट की लड़ाई में जिस हूती समूह को सऊदी अरब, अमेरिका और इज़राइल जैसे बड़े सैन्य शक्ति वाले देश वर्षों से कमजोर नहीं कर पाए, उसी हूती संगठन को यमन के ही एक छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से मजबूत मिलिशिया समूह-दक्षिणी संक्रमणकालीन परिषद (STC) ने करारा झटका दिया है।
यह पलटवार यमन के सबसे महत्वपूर्ण और तेल-समृद्ध क्षेत्र हदरमौत में हुआ है, जो लंबे समय से हूतियों और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के लिए रणनीतिक अहमियत रखता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, STC संयुक्त अरब अमीरात के प्रभाव वाले सबसे सक्रिय प्रॉक्सी संगठनों में से एक है। इसे यूएई से राजनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर समर्थन मिलने का दावा किया जाता रहा है हालांकि, अबू धाबी कभी आधिकारिक रूप से इसकी न तो पुष्टि करता है और न ही खंडन।
STC की स्थापना 2017 में हुई थी और इसका मुख्यालय अदन में स्थित है। संगठन के प्रमुख एदरस अल-जोबैदी दक्षिण यमन को हूती नियंत्रण से मुक्त कर एक अलग राष्ट्र की स्थापना के पक्षधर माने जाते हैं। मौजूदा समय में यमन के अधिकांश हिस्से पर हूती विद्रोहियों का प्रभाव है, ऐसे में STC का उभार यमन के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाला कदम साबित हो सकता है।
यमन रेड सी के किनारे स्थित है, जो वैश्विक तेल व्यापार का एक प्रमुख मार्ग है। दुनिया का 12% तेल इसी रूट से होकर गुजरता है। यही कारण है कि सऊदी, इजराइल और खाड़ी देशों की आर्थिक सुरक्षा इस क्षेत्र से गहराई से जुड़ी है।
ईस्टर्न यमन के हदरमौत प्रांत में STC लड़ाकों ने आधुनिक हथियारों, ड्रोन और रणनीतिक सहयोग के बल पर हूती विद्रोहियों को कई स्थानों से पीछे धकेल दिया है। इस क्षेत्र में विशाल तेल भंडार होने के कारण इसकी जियो-पॉलिटिकल वैल्यू और भी बढ़ जाती है।
हूती विद्रोहियों को लंबे समय से ईरान समर्थित माना जाता है, वहीं दूसरी ओर STC को यूएई-समर्थित प्रॉक्सी के रूप में देखा जा रहा है। कई रिपोर्ट्स का दावा है कि यूएई यमन में उसी तरह की रणनीति अपना रहा है, जैसी उसने सूडान में रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के साथ अपनाई थी जहां उसे बदले में सोने का कारोबार मिलता है। यमन में यह व्यापार तेल के रूप में दिखाई देता है।
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STC का उभार और हूतियों का पूर्वी यमन से पीछे हटना मिडिल ईस्ट में शक्ति संतुलन पर बड़ा असर डाल सकता है। रेड सी ट्रेड रूट पर नियंत्रण की कोशिशें अब और तेज होंगी। यदि STC अपने कब्जे को स्थिर कर लेता है, तो यमन में दो समानांतर सत्ता केंद्र बनने की स्थिति और मजबूत हो सकती है। यमन का यह बदलता समीकरण न सिर्फ स्थानीय राजनीति बल्कि वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और मिडिल ईस्ट की स्थिरता को भी प्रभावित करेगा।