
तुर्की-सऊदी-ईरान की अचानक बैठक, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Iran Turkey Saudi Diplomacy: ईरान की राजधानी तेहरान इन दिनों मिडिल ईस्ट की सक्रिय कूटनीति का केंद्र बना हुआ है। तुर्की के विदेश मंत्री हकीम फिदान और सऊदी अरब के विदेश सचिव की एक ही दिन में उपस्थिति ने अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हो रहा है जब इजरायल ने सीरिया और लेबनान पर सैन्य हमले तेज कर दिए हैं और इजरायली मीडिया एक बार फिर ईरान पर संभावित हमले की चर्चाओं को हवा दे रहा है।
मैहर न्यूज एजेंसी के मुताबिक, तुर्की के विदेश मंत्री हकीम फिदान ने सोमवार को ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन और विदेश मंत्री अब्बास अराघची से अहम द्विपक्षीय वार्ता की। इस मुलाकात के बाद दोनों देश कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर करते हुए आर्थिक और रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए। रिपोर्ट्स बताती हैं कि तुर्की ने इस बैठक में इजरायली शासन की खुलकर निंदा की।
बैठक के दौरान तुर्की ने ईरान की क्षेत्रीय अखंडता, राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया। तुर्की के विदेश मंत्री फिदान ने कहा, “हमारे विभाजित होने का सीधा फायदा इजरायल उठा रहा है। अगर क्षेत्र के देश एकजुट हो जाएं तो इसका नुकसान इजरायल को उठाना पड़ेगा।”
कुछ ही समय बाद, ईरान के विदेश मंत्री अराघची ने सऊदी अरब के विदेश सचिव से मुलाकात की। हालांकि उनकी बातचीत का विस्तृत ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन ईरानी मीडिया ने संकेत दिया है कि सऊदी ने ईरान की आंतरिक सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर चर्चा की है। यह भी माना जा रहा है कि सऊदी की कोशिश ईरान और अमेरिका के बीच लंबे समय से रुकी परमाणु वार्ता को पटरी पर लाने की है, जिस पर दोनों देशों में लगातार टकराव बना हुआ है।
मिडिल ईस्ट में ईरान, तुर्की और सऊदी अरब की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है। सैन्य शक्ति और भू-राजनीतिक प्रभाव के मामले में ये तीनों देश इजरायल के बाद सबसे आगे आते हैं।
1- सऊदी अरब हाल ही में पाकिस्तान के साथ डिफेंस डील के बाद परमाणु क्षमता संपन्न देशों की श्रेणी में शामिल हुआ है।
2- तुर्की नाटो सदस्य होने के कारण 28 देशों के सुरक्षा कवच के भीतर आता है।
3- ईरान लगभग 3000 बैलिस्टिक मिसाइलों के जखीरे और रूस-चीन के समर्थन के साथ क्षेत्र में एक मजबूत शक्ति है।
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इन तीनों देशों की हालिया कूटनीतिक गतिविधियों को देखकर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव और इजरायल के आक्रामक रवैये के बीच क्षेत्रीय देशों की आपसी स्थिति एक नए मोड़ पर पहुंच सकती है।






