
ट्रंप ने ताइवान के हथियारों के सौदे को दी मंजूरी (सोर्स- सोशल मीडिया )
Arms Deal in US-Taiwan: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने ताइवान को 11 अरब डाॅलर (लगभग 1 लाख करोड़ रुपए) के हथियार बेचने की मंजूरी दी है। इसमें कई अत्याधुनिक सैन्य उपकरण शामिल हैं, जैसे HIMARS रॉकेट सिस्टम, हॉवित्जर, एंटी-टैंक मिसाइल, ड्रोन और अन्य हथियार। यह बिक्री ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर लौटने के बाद ताइवान को दिया जाने वाला दूसरा बड़ा हथियार पैकेज है।
HIMARS का पूरा नाम हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम है। यह एक ट्रक पर लगाया गया हल्का और मोबाइल रॉकेट लॉन्चर है। इसे लंबी दूरी पर तेज हमले के लिए बनाया गया है। HIMARS जीपीएस गाइडेड रॉकेट और ATACMS मिसाइलों से सटीक निशाना लगा सकता है। जंग की स्थिति में यह किसी भी देश के लिए ‘ब्रहमास्त्र’ जैसा हथियार माना जाता है। इसे जल्दी से लॉन्च किया जा सकता है और जल्दी फिर से लोड भी किया जा सकता है। इसका दायरा 300 किलोमीटर से अधिक है।
ताइवान और चीन के बीच दशकों से तनाव है। चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और इसे मुख्य भूमि चीन के साथ जोड़ना चाहता है। जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र राष्ट्र मानता है। अमेरिका ताइवान को औपचारिक रूप से देश नहीं मानता, लेकिन उसकी सुरक्षा में सबसे बड़ा समर्थक है। इस हथियार बिक्री की टाइमिंग महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह चीन को ताइवान पर हमला करने से रोक सकता है। चीन बार-बार ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने की धमकी देता रहा है।
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इस बिक्री का असर सिर्फ ताइवान तक सीमित नहीं है। इससे अमेरिका ने चीन को भी स्पष्ट संदेश दिया है कि वह ताइवान की सुरक्षा के लिए गंभीर है। ट्रंप प्रशासन की यह कदम न केवल ताइवान की रक्षा क्षमता बढ़ाता है, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन में भी बदलाव ला सकता है। इस हथियार पैकेज से ताइवान के पास आधुनिक और लंबी दूरी के हमले करने की शक्ति बढ़ गई है, जिससे चीन पर दबाव बढ़ेगा।
अमेरिका और ताइवान के बीच हथियारों के सौदे को लेकर चीन ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि माना जा रहा है कि चीन अमेरिका के इस कदम के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठा सकता है। चीन हमेशा से साउथ चाइना सी में अमेरिकी प्रभाव पर अपनी नाराजगी जताता रहा है।






