BLA सांकेतिक तस्वीर, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
BLA Terrorist Organization: पाकिस्तानी सेना के प्रमुख आसिम मुनीर की मनोकामना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी कर दी है। अमेरिका के विदेश विभाग ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और उसके सहयोगी ‘द मजीद ब्रिगेड’ को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। यह निर्णय सीधे तौर पर जनरल आसिम मुनीर की उस मांग का परिणाम माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने बलूच विद्रोहियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी कार्रवाई की अपील की थी।
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) लंबे समय से पाकिस्तान में सुरक्षा बलों और सरकारी संस्थानों पर हमले करती आ रही है। इस संगठन का आत्मघाती हमलों के लिए मजीद ब्रिगेड विंग जिम्मेदार माना जाता है। अमेरिका ने BLA की फंडिंग और हथियारों की सप्लाई को रोकने के लिए यह कदम उठाया है, ताकि इसकी हिंसक गतिविधियों को समाप्त किया जा सके। चीन के लिए भी यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि BLA को ग्वादर पोर्ट और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता है।
पाकिस्तान में बलूच विद्रोहियों के खिलाफ यह अब तक की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई मानी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, वॉशिंगटन का यह फैसला पाकिस्तान और अमेरिका के सुरक्षा संबंधों को और अधिक मजबूत करेगा और साथ ही बलूच आंदोलन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार, 2024 में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने कराची एयरपोर्ट और ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्प्लेक्स के पास आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया था। इसके अलावा, इस संगठन ने मार्च 2025 में क्वेटा से पेशावर जा रही ‘जाफर एक्सप्रेस’ ट्रेन को हाईजैक कर 31 से अधिक लोगों की हत्या कर दी और 300 से अधिक यात्रियों को बंधक बना लिया था।
मार्को रूबियो ने इस घटना पर कहा कि यह अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ निरंतर प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाना उनके वित्तीय संसाधनों और समर्थन नेटवर्क को खत्म करने का एक प्रभावी तरीका है।
1. सबसे पहले, बीएलए को विदेशी वित्तीय सहायता और हथियारों की आपूर्ति पर सीधे प्रतिबंध लगेगा। अब अमेरिका के कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति या संस्था बीएलए को आर्थिक या तकनीकी मदद देगा तो उस पर कानूनी कार्रवाई होगी। इससे बीएलए के वैश्विक नेटवर्क को अलग-थलग करने में मदद मिलेगी।
2. पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिलेगा। यह कदम पाकिस्तान की सुरक्षा नीति को मजबूत करेगा, खासकर जब सेना प्रमुख जनरल मुनीर ने इस मामले में वॉशिंगटन पर दबाव बनाया था।
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3. बलूच विद्रोही गतिविधियों पर मानसिक दबाव पड़ेगा। बीएलए के समर्थकों के लिए अब विदेशों में खुलेआम फंड जुटाना या प्रचार करना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि, इसका नकारात्मक पक्ष भी हो सकता है। बीएलए इस दबाव में आकर हिंसक गतिविधियां तेज कर सकता है और बलूचिस्तान के राजनीतिक समाधान के रास्ते बंद हो सकते हैं।