इजरायल पर शाहेद-136 का हमला, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: ईरान ने हमले का बदला लेने के लिए आज इजरायल पर 100 शाहेद-136 ड्रोन दागे हैं। इसकी सूचना मिलते ही जॉर्डन की वायु सेना ने अपने हवाई क्षेत्र में इन ड्रोन को रोकने का प्रयास किया और सफल भी रही। इसी बीच, इजरायली वायु सेना ने भी इन ड्रोन को हवा में मार गिराया। अब सवाल यह उठता है कि ये शाहेद-136 ड्रोन कितने खतरनाक हैं और इजरायल तक पहुंचने में इन्हें कितना समय लगता है?
शाहेद-136 एक ईरानी ड्रोन (बिना पायलट वाला हवाई वाहन – UAV) है, जिसे विशेष रूप से हमलावर मिशनों के लिए तैयार किया गया है। इसे एक सस्ता और प्रभावी हथियार माना जाता है, जिसे बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक बार उपयोग होने वाला (वन-टाइम यूज) ड्रोन है, जो लक्ष्य से टकराकर स्वयं नष्ट हो जाता है। ईरान ने इसे साल 2020 में पेश किया था। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी यह ड्रोन चर्चा में रहा, क्योंकि रूस ने इसे युद्ध में इस्तेमाल किया था।
शाहेद-136 ड्रोन की प्रमुख विशेषताएं हैं। इसके साथ ही ईरान से इजरायल तक इस ड्रोन के पहुंचने का समय कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि दूरी, ड्रोन की रफ्तार और मौसम की स्थिति। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ
1. रेंज: यह ड्रोन 2,000 से 2,500 किलोमीटर तक की दूरी तय करने में सक्षम है। चूंकि ईरान और इज़रायल के बीच की दूरी मात्र 1,600-1,800 किलोमीटर है, इसलिए यह ड्रोन इज़रायल तक बिना किसी अतिरिक्त ईंधन भराव के पहुंच सकता है।
2. गति: इसकी अधिकतम गति 180-200 किलोमीटर प्रति घंटा है। हालांकि यह गति अन्य आधुनिक ड्रोन्स की तुलना में कम है, लेकिन इसकी धीमी रफ्तार इसे लंबी दूरी तक स्थिर उड़ान भरने में सक्षम बनाती है। हालांकि, इसकी धीमी गति के कारण यह रडार सिस्टम पर आसानी से पकड़ में आ सकता है, लेकिन बड़ी संख्या में एक साथ लॉन्च किए जाने पर इन्हें रोक पाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
3. पेलोड (वारहेड क्षमता): शाहेद-136 लगभग 40-50 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री ले जाने में सक्षम है। यह मात्रा छोटे सैन्य ठिकानों, इमारतों या जमीनी लक्ष्यों को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त है, लेकिन बड़े एवं मजबूत संरचनाओं (जैसे परमाणु संयंत्र) को पूरी तरह नष्ट करने के लिए अपर्याप्त है।
शाहेद-136 ड्रोन
4. ऊंचाई: शाहेद-136 ड्रोन 3000 से 4000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है, जिसके कारण इसे कम ऊंचाई वाला ड्रोन माना जाता है। यह सीमित ऊंचाई इसे रडार सिस्टम से छिपाने में मदद करती है, हालांकि आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम इसे आसानी से पकड़ सकते हैं।
5. ईंधन और डिज़ाइन: यह ड्रोन प्रोपेलर-आधारित है और इसका निर्माण कम लागत वाली तकनीक से किया गया है, जिससे इसे बड़ी संख्या में बनाया जा सकता है। इसकी सस्ती और सरल डिज़ाइन की वजह से ईरान इसे “स्वार्म अटैक” (एक साथ सैकड़ों ड्रोन के हमले) के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
ईरान परमाणु केंद्र पर हमला…गुस्से से तिलमिलाया पाकिस्तान, इशाक डार ने दी डाली खुली धमकी
6. दूरी का आकलन: ईरान और इज़रायल के बीच हवाई मार्ग से दूरी करीब 1600 से 1800 किलोमीटर है, जो इस ड्रोन की पहुंच के दायरे में आता है।
7. ड्रोन की गति: यह ड्रोन लगभग 180 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इस हिसाब से, इसे ईरान से इज़रायल तक पहुंचने में 8 से 10 घंटे का समय लग सकता है।
इस तरह, अगर 100 ड्रोन एक साथ हमला करें और उन्हें नष्ट नहीं किया गया तो वे इजरायल के सैन्य ठिकानों, बुनियादी ढांचे और आबादी वाले इलाकों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।