व्लादिमीर पुतिन ( सोर्सः सोशल मीडिया )
मॉस्कोः रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फिर भारत सरकार की तारीफ की है। पुतिन ने इस बार ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सराहना करते हुए इसे छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) के लिए स्थिर परिस्थितियां प्रदान करने को लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार की योजना की सराहना की है। बुधवार को राजधानी मॉस्को में वीटीबी निवेश मंच को संबोधित करते हुए पुतिन ने रूस के आयात प्रतिस्थापन कार्यक्रम और भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के बीच समानताएं बताईं। उन्होंने भारत में विनिर्माण संचालन स्थापित करने की तत्परता भी जाहिर की।
पुतिन ने भारत में अनुकूल निवेश माहौल का जिक्र करते हुए कहा, “हम भारत में अपना विनिर्माण स्थल स्थापित करने के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार स्थिर परिस्थितियां बना रहे हैं, जिससे भारत में निवेश करना लाभदायक है।” उन्होंने भारत को अनुकूल निवेश वातावरण बनाने में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने पर भारत के फोकस पर भी प्रकाश डाला।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एसएमई (छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों) के विकास के लिए ब्रिक्स देशों में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों में एसएमई को मदद देने के लिए एक तेज विवाद निपटान मंच की आवश्यकता है, ताकि छोटे उद्यम आसानी से अपने मुद्दे हल कर सकें।
पुतिन ने बताया कि रूस में कई नए स्थानीय ब्रांड उभर रहे हैं, जो बाजार से बाहर हुए पश्चिमी ब्रांडों की जगह ले रहे हैं। ये ब्रांड उपभोक्ता वस्तुओं, आईटी, उच्च तकनीक और कृषि जैसे क्षेत्रों में सफल हो रहे हैं।
रूसी राष्ट्रपति ने अपने देश के कृषि क्षेत्र की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “1988 में सोवियत संघ ने 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अनाज आयात किया था, जबकि पिछले साल रूस ने 66 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अनाज निर्यात किया। यह हमारे किसानों और उत्पादकों की कड़ी मेहनत और योग्यता का नतीजा है।”
पुतिन ने ब्रिक्स देशों के बीच एसएमई के विकास का समर्थन करने के लिए सहयोग बढ़ाने की अपील की। उन्होंने ब्राजील में 2025 में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने का सुझाव दिया। पुतिन ने कहा, “मैं ब्रिक्स के सदस्य देशों से आग्रह करूंगा कि वे सहयोग के मुख्य क्षेत्रों का विश्लेषण करें ताकि हम ब्राजील के सहयोगियों का ध्यान इस ओर आकर्षित कर सकें, जो अगले वर्ष ब्रिक्स की अध्यक्षता करेंगे।”
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