
पुतिन के भारत दौरे से पाकिस्तान में डर का माहौल है,
India Russia Summit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा शुरू होते ही पाकिस्तान की राजनीति, सेना और मीडिया में बेचैनी बढ़ गई है। हर बार की तरह भारत और रूस के शीर्ष नेतृत्व की बातचीत इस बार भी पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय बन गई है।
अगले 30 घंटे में पीएम नरेंद्र मोदी और पुतिन कई अहम रक्षा और ऊर्जा समझौतों पर चर्चा करेंगे, जिसका सीधा प्रभाव दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन पर पड़ेगा।
भारत-रूस संबंधों की गहराई किसी से छिपी नहीं है। पाकिस्तान की सबसे बड़ी घबराहट रक्षा क्षेत्र में होने वाली प्रगति को लेकर है। विशेष रूप से S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम की अगली खेप को लेकर इस्लामाबाद में खासी चिंता है। जैसे ही यह सिस्टम पूरी क्षमता से भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होगा, भारत की हवाई शक्ति पाकिस्तान की तुलना में निर्णायक रूप से मजबूत हो जाएगी। यही कारण है कि पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान इस दौरे की मिनट-दर-मिनट निगरानी कर रहा है।
इसके अलावा, भारत अपने रूसी सैन्य उपकरणों के अपग्रेड और आधुनिकीकरण को लेकर भी बातचीत तेज करने वाला है। यह पाकिस्तान के लिए दोहरी मुश्किल है क्योंकि इसी रूसी तकनीक ने दशकों से भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती दी है। अब जब भारत अपनी सेना को तेज़ी से आधुनिक कर रहा है, तो पाकिस्तान को यह रणनीतिक बढ़त और अधिक खतरनाक लग रही है।
कूटनीतिक स्तर पर भी पुतिन-मोदी की मुलाकात पाकिस्तान के लिए चुनौती है। यूक्रेन युद्ध के बीच भारत की संतुलित विदेश नीति और रूस के साथ मजबूत संबंध, पश्चिमी देशों को भी एक ठोस संदेश देते हैं। पाकिस्तान को डर है कि भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय पकड़ उसे क्षेत्रीय और वैशिक मंचों पर और ज्यादा अलग-थलग कर देगी।
ऊर्जा क्षेत्र में भी भारत-रूस के बढ़ते संबंध पाकिस्तान की चिंता बढ़ाते हैं। भारत को मिलने वाला सस्ता रूसी कच्चा तेल उसके आर्थिक हितों को मजबूत करता है, वहीं गंभीर आर्थिक संकट झेल रहे पाकिस्तान के लिए यह एक और झटका है। ISI और पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय इस दौरे पर लगातार नजरें बनाए हुए हैं।
जनरल असीम मुनीर के लिए यह दौरा सुरक्षा दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर भारत और रूस सैन्य आधुनिकीकरण से जुड़े बड़े समझौते करते हैं, तो इससे पाकिस्तान की सुरक्षा रणनीति कमजोर पड़ सकती है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ इसकी राजनीतिक परिणति को लेकर चिंतित हैं। रूस की भारत के प्रति बढ़ती निकटता का असर पाकिस्तान की विदेश नीति पर भी साफ दिख सकता है।
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दोस्ती के 77 साल और रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने के मौके पर हो रही यह बैठक केवल भारत के लिए कूटनीतिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के लिए एक बड़ी परीक्षा भी है। आने वाले 30 घंटे यह तय करेंगे कि दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन किस दिशा में जाएगा और क्या यह पाकिस्तान के लिए एक और रणनीतिक झटका साबित होगा।






