भारत को मिला 'आसमान का रखवाला', फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान अपनी धमकी जारी रखे हुए है। सीमा पर लगातार 10वें दिन पाकिस्तान ने फायरिंग की है। इस बढ़ते तनाव के बीच भारत ने अपनी हवाई रक्षा क्षमता को और मजबूत किया है। इसी बीच सेना को अब रूसी निर्मित Igla-S मिसाइलों की नई खेप मिली है, जिन्हें बॉर्डर पर अग्रिम चौकियों पर तैनात किया जा रहा है। इन मिसाइलों की विशेषता यह है कि यह दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर और ड्रोन को बहुत कम दूरी से भी निशाना बना सकती हैं।
भारतीय सेना ने जो मिसाइलें खरीदी हैं, वे कम दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम का हिस्सा हैं। इनकी कुल लागत करीब 260 करोड़ रुपये है, और यह खरीद भारत सरकार की आपातकालीन खरीद नीति के तहत की गई है। सेना ने इस नीति के तहत 48 लॉन्चर और 90 और मिसाइलों की खरीद की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
Igla-S मिसाइलें इंफ्रारेड तकनीक पर आधारित हैं और सेना पहले ही इसके पुराने संस्करण का उपयोग कर रही थी। अब इसके नए संस्करण से हवाई खतरों से निपटने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। बता दें कि Igla-S मिसाइलें 1990 के दशक से प्रयोग में है। साथ ही, सेना ने स्वदेशी ‘इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडक्शन सिस्टम’ भी तैनात किया है, जो 8 किलोमीटर दूर से ड्रोन का पता लगा सकता है और लेजर के माध्यम से उसे नष्ट कर सकता है।
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भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बड़ी संख्या में मिसाइलों के साथ-साथ ड्रोन की पहचान और उन्हें निष्क्रिय करने की क्षमताएं भी विकसित की हैं। DRDO एक नई, अत्याधुनिक लेजर प्रणाली विकसित कर रहा है, जो भविष्य में दुश्मन के बड़े ड्रोन, क्रूज मिसाइल और विमानों को खत्म करने में सक्षम होगी। हाल ही में, जम्मू क्षेत्र में भारतीय सेना ने एक पाकिस्तानी ड्रोन को नष्ट करने में सफलता हासिल की है। ये सभी तैयारियाँ यह स्पष्ट संकेत देती हैं कि भारत अब केवल आतंकवादी हमलों का जवाब नहीं देगा, बल्कि किसी भी संभावित हवाई हमले से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।