
क्या 12 हिस्सों में बंट जाएगा पाकिस्तान (सोर्स-सोशल मीडिया)
Pakistan 12 New Provinces: पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार ने देश को चार बड़े प्रांतों से निकालकर 12 छोटे प्रांतों में बांटने की एक नई योजना बनाई है। सरकार भले ही प्रशासनिक नियंत्रण को बेहतर बनाने का तर्क दे रही हो, लेकिन कई विशेषज्ञ इसके पीछे चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) आसिम मुनीर के बढ़ते प्रभाव और आंतरिक अस्थिरता को दबाने की रणनीति देख रहे हैं। इस योजना का विरोध खुद सरकार के सहयोगी दलों और राजनीतिक विशेषज्ञों ने करना शुरू कर दिया है, जिससे पाकिस्तान की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
पाकिस्तान सरकार में मंत्री अब्दुल अलीम खान ने जल्द ही देश में नए और छोटे प्रांत बनाने की पुष्टि की है। सरकार का तर्क है कि छोटे प्रांतों से प्रशासनिक नियंत्रण मजबूत होगा और नागरिकों को बेहतर सरकारी सेवाएं मिलेंगी। योजना के तहत, मौजूदा सिंध, पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा से तीन-तीन छोटे प्रांत बनाए जाएंगे। मंत्री ने पड़ोसी देशों का उदाहरण देते हुए कहा है कि पाकिस्तान को भी इसी मॉडल पर आगे बढ़ना चाहिए।
हालांकि, विशेषज्ञ इसे आंतरिक अस्थिरता की आवाज को दबाने और जमीनी स्तर पर सेना के नियंत्रण को और मजबूत करने की कोशिश मान रहे हैं। उनका मानना है कि इस कदम से सरकार और सेना के विरोध की आवाजों को दबाना आसान हो जाएगा, खासकर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे विद्रोही क्षेत्रों में।
इस योजना को लेकर शहबाज़ सरकार के सहयोगी दलों में ही मतभेद सामने आ गए हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के नेता बिलावल भुट्टो ने इस प्लान पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने मांग की है कि सबसे पहले नवाज शरीफ परिवार का राजनीतिक गढ़ माने जाने वाले पंजाब को बांटा जाए। बिलावल ने जोर दिया कि सीनेट कमीशन द्वारा पारित साउथ पंजाब को अलग प्रांत बनाने के प्रस्ताव पर पहले आम सहमति बनाई जाए।
वहीं, सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने इस योजना का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने साफ शब्दों में ऐलान किया है कि अल्लाह के अलावा कोई भी सिंध को बांट नहीं सकता। सिंध में बिलावल की पार्टी का मजबूत राजनीतिक आधार है, इसीलिए वे सिंध के विभाजन का विरोध कर रहे हैं।
राजनीतिज्ञों के विरोध के बावजूद, कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान को 12 टुकड़ों में बांटने की इस कवायद के पीछे असल मकसद देश के कई हिस्सों, विशेषकर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ते विद्रोह को रोकना है। चरमराती अर्थव्यवस्था और तीव्र होते विरोध को काबू करना CDF आसिम मुनीर और शहबाज शरीफ के लिए मुश्किल हो रहा है।
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वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट सैयद अख्तर अली शाह और राजनीतिक विशेषज्ञ अहमद बिलाल महबूब ने चेतावनी दी है कि बिना सोचे-समझे विभाजन से केवल देश में और ज्यादा अराजकता और अस्थिरता ही पैदा होगी। उनका मानना है कि नए प्रांत बनाने के बजाय, सरकार को कमजोर संस्थाओं, भ्रष्ट शासन प्रणाली और लोकतांत्रिक जवाबदेही की कमी जैसी मूल समस्याओं को हल करने पर काम करना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम केवल सेना के शीर्ष नेतृत्व के सत्तावादी इरादों को मजबूत करने का राजनीतिक स्टंट हो सकता है।






