
असदुद्दीन ओवैसी
SIR Debate in Parliament: एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) पर चर्चा करते हुए चुनाव आयोग पर संसद द्वारा बनाए गए नियमों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग ने पब्लिक डोमेन में आदेश डाले बिना 35 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम काट दिए। ओवैसी ने कहा, “हम एसआईआर का विरोध करते हैं।”
लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा करते हुए ओवैसी ने कहा कि मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण (SIR) संसद द्वारा बनाए गए कानून का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायधीशों की पीठ के द्वारा ‘लाल बाबू हुसैन’ मामले में दिए गए फैसले का उल्लंघन है।
ओवैसी ने लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की कम संख्या पर अफसोस जताते हुए कहा, “डॉ भीमराव आंबेडकर ने बार-बार कहा था कि राजनीतिक सत्ता सामाजिक प्रगति की कुंजी है।” एआईएमआईएम सांसद ने कहा, “यहां केवल चार प्रतिशत मुसलमान हैं और सत्तारूढ़ पार्टी में कोई मुस्लिम सदस्य नहीं है।” उन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, “मुसलमान यहां नहीं हैं, धर्मनिरपेक्ष पार्टियों में उनका प्रतिनिधित्व नहीं है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर वायनाड जैसी मुस्लिम बहुल सीट से गैर-मुस्लिम चुने जा सकते हैं, तो रायबरेली, अमेठी और इटावा से मुस्लिम क्यों नहीं चुने जा सकते?”
ओवैसी ने दावा किया कि चुनाव आयोग मतदाताओं पर अपनी नागरिकता साबित करने का भार डाल रहा है और यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1960 में पारित निर्वाचक नियमों तथा ‘लाल बाबू हुसैन’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा, “चुनाव आयोग, देश का उच्चतम न्यायालय और संसद से बड़ा नहीं है।”
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ओवैसी ने आरोप लगाया कि ‘फॉर्म 6’ नियम संसद ने पारित किया है, लेकिन चुनाव आयोग इस कानून की शुचिता को तार-तार कर रहा है। उन्होंने एसआईआर का विरोध करते हुए कहा कि यह धर्म के आधार पर लोगों को मताधिकार से वंचित करने की कोशिश है। ओवैसी ने कहा, “मैं एसआईआर का विरोध करता हूं क्योंकि यह राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) तैयार करने की कोशिश जैसी है।” ओवैसी ने सत्तारूढ़ भाजपा से आग्रह किया कि देश में जर्मनी जैसी संसदीय व्यवस्था अपनाई जाए। उन्होंने कहा, “हमें आम सहमति से वोट के अधिकार को मूल अधिकार बनाना चाहिए।”






