
मोहम्मद यूनुस छात्र नेता शरीफ हादी की अंतिम यात्रा में शामिल हुए (सोर्स-सोशल मीडिया)
Bangladesh Political Unrest 2025: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी को भावभीनी विदाई दी है। हादी की अंतिम यात्रा में शामिल होकर यूनुस ने संकल्प लिया कि वे इस युवा नेता के अधूरे सपनों और क्रांतिकारी विचारों को आगे बढ़ाएंगे।
उस्मान हादी ने शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी और उन्हें भविष्य के बड़े नेता के रूप में देखा जा रहा था। सिंगापुर में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु के बाद अब बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ आता दिखाई दे रहा है।
महज 32 वर्ष की आयु में शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेशी राजनीति का एक चमकता सितारा बन गए थे। ढाका में चुनाव प्रचार के दौरान नकाबपोश हमलावरों ने उनके सिर में गोली मार दी थी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
उन्हें बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया, लेकिन छह दिनों के संघर्ष के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। हादी की हत्या ऐसे समय में हुई जब वे फरवरी में होने वाले चुनावों के लिए तैयारी कर रहे थे। उनकी मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
उस्मान हादी की अंतिम यात्रा बेहद गरिमामय तरीके से ढाका विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित की गई। उन्हें राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम के समाधि स्थल के पास दफनाया गया, जो बांग्लादेश में एक अत्यंत दुर्लभ और प्रतीकात्मक सम्मान माना जाता है।
इस दौरान विश्वविद्यालय परिसर में भारी भीड़ उमड़ी और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। प्रशासन ने कड़ी मशक्कत के बाद स्थिति को शांतिपूर्ण बनाए रखा, ताकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में कोई बाधा उत्पन्न न हो।
शोक सभा को संबोधित करते हुए मोहम्मद यूनुस भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि हादी ने राजनीति को विनम्रता और गरिमा के साथ करने का एक नया उदाहरण पेश किया था। यूनुस ने एकजुटता का आह्वान करते हुए वादा किया कि अंतरिम सरकार हादी के उन आदर्शों को पूरा करेगी जिसके लिए उन्होंने संघर्ष किया था।
उन्होंने विश्वास दिलाया कि हादी की विरासत हमेशा जीवित रहेगी और उनकी राजनीतिक सोच बांग्लादेश की नई संस्कृति को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का काम करेगी।
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हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा और अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है। पिछले कुछ दिनों में समाचार पत्रों और सांस्कृतिक संस्थाओं पर हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे लोकतांत्रिक भविष्य को लेकर चिंता जताई जा रही है।
12 फरवरी को होने वाले संसद चुनाव से पहले इस तरह की हिंसा देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। मोहम्मद यूनुस की सरकार के लिए अब सबसे बड़ी परीक्षा यह है कि वे हादी के समर्थकों के गुस्से को शांत कर देश को एक स्थिर और निष्पक्ष चुनाव की ओर कैसे ले जाते हैं।






