चीन की सेना ने यूएवी, रोबोट कुत्तों के साथ किया युद्धाभ्यास, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
बीजिंग: चीन की सेना ने यूएवी, रोबोट कुत्तों और विस्फोटक आयुध निपटान रोबोट का उपयोग करके परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्धाभ्यास किया, जिससे ताइवान सहित पूरे क्षेत्र में हलचल मच गई। इस शक्तिशाली सैन्य अभ्यास ने अमेरिका तक में चिंता बढ़ा दी है।
खास बात यह है कि चीन ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति पद संभाले सिर्फ एक महीना हुआ है और वह पहले ही चीन के खिलाफ आक्रामक रुख दिखा चुके हैं, जिसमें पनामा नहर से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं।
चीन की सरकारी मीडिया ने बृहस्पतिवार को जानकारी दी कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की 73वीं ग्रुप आर्मी से संबंधित एक ब्रिगेड ने हाल ही में अपने प्रशिक्षण क्षेत्र में परमाणु, जैविक और रासायनिक (NBC) सुरक्षा तथा आपातकालीन बचाव से जुड़ा अभ्यास किया। सरकारी चैनल ने अभ्यास के स्थान का खुलासा किए बिना बताया कि इस ड्रिल में मानव रहित हवाई यान (UAV), रोबोट कुत्तों और विस्फोटक आयुध निपटान रोबोट का इस्तेमाल किया गया।
एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिगेड ने ऐसी प्रशिक्षण विधियों को अपनाया है, जो प्रौद्योगिकी और नेटवर्क प्रणालियों के समन्वय पर आधारित हैं। ब्रिगेड के सदस्य क्वी हुआली ने आधिकारिक मीडिया को बताया कि सिमुलेशन प्रशिक्षण में प्रगति और मानव रहित उपकरणों की व्यापक तैनाती ने नए प्रतिस्पर्धी अवसरों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि सिमुलेशन प्रशिक्षण विभिन्न युद्ध कारकों के बीच तालमेल को बेहतर बनाता है। इसके अलावा, ब्रिगेड ने मानवयुक्त और मानवरहित रणनीतियों के एकीकरण को उन्नत किया है और अभ्यास के दौरान सर्वोत्तम युद्ध रणनीतियों को लागू कर उनकी प्रभावशीलता की पुष्टि की है।
विदेश की अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…
चीनी सैन्य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग ने बताया कि आधुनिक युद्ध में मानव रहित उपकरणों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अभ्यासों में इस्तेमाल किए गए ये उपकरण सहायक मिशनों में अहम भूमिका निभा रहे हैं। सोंग के अनुसार, ड्रोन जैसी तकनीकों से न केवल सैनिकों की जान बचाई जा सकती है, बल्कि युद्धक क्षमताओं में भी वृद्धि होती है। उन्होंने यह भी बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बुद्धिमान तकनीकों का सैन्य उपकरणों में समावेश एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति बन रहा है। भविष्य में, एआई और अन्य उन्नत तकनीकों को रक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनाया जाएगा।