इमरान खान, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव एक बार फिर गहराता जा रहा है। एक ओर जहां दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिक अधिकारियों को अवांछित घोषित कर देश छोड़ने का आदेश दिया है, वहीं पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी मौजूदा हालात को लेकर गंभीर चेतावनी दी है।
जेल में बंद इमरान खान से मुलाकात के बाद उनकी बहन अलीमा खान ने खुलासा किया कि इमरान ने देश को भारत के संभावित जवाबी हमले के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है। अलीमा के अनुसार, इमरान का मानना है कि नरेंद्र मोदी चुप नहीं बैठेंगे, वह बदला जरूर लेंगे। ऐसे में पाकिस्तान को हर मोर्चे पर सतर्क रहना चाहिए।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई को “हौसला बढ़ाने वाला कदम” करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई न केवल सीमा पर तैनात सैनिकों का उत्साह बढ़ाती है, बल्कि जेल में बंद उनके जैसे लोगों के आत्मविश्वास को भी मजबूत करती है।
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कूटनीतिक स्तर पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। मंगलवार को पाकिस्तान ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के एक अधिकारी को “पर्सोना नॉन ग्राटा” (अवांछनीय व्यक्ति) घोषित करते हुए उसे 24 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया। पाकिस्तान का कहना है कि वह अधिकारी किसी “गैरकानूनी गतिविधि” में शामिल था। भारत ने भी नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के एक अधिकारी को निष्कासित कर दिया। भारत ने भी उस अधिकारी पर “संदिग्ध गतिविधियों” में शामिल होने का आरोप लगाया।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 26 मासूम नागरिकों की निर्मम हत्या कर दी गई। इस नृशंस हमले के जवाब में, भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकवादी अड्डों को सफलतापूर्वक निशाना बनाकर तबाह कर दिया। इसके बाद, पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर से लेकर गुजरात तक मिसाइल, ड्रोन और लड़ाकू विमानों के जरिए भारत पर हमला किया।
हालांकि, भारतीय सेना ने अपने सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम के ज़रिए पाकिस्तान के सभी हमलों को प्रभावी ढंग से विफल कर दिया। भारत की कड़ी और प्रभावशाली प्रतिक्रिया को देखते हुए पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा और उसने शांति की मांग की। इसके परिणामस्वरूप 10 मई को दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की गई।