मध्यस्थता से टूटा कतर का हौसला, फोटो (सो, सोशल मीडिया)
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: जंग की शुरुआत से ही खाड़ी देश कतर हमास और इजराइल के बीच सुलह कराने की कोशिश में लगा हुआ है। कई बार समझौता होते-होते टल गया। साल की शुरुआत में ट्रंप की पहल पर जो सीजफायर हुआ था, उसे भी 18 मार्च को इजराइल ने तोड़ दिया। इसके बाद कतर ने एक बार फिर मध्यस्थता की कोशिश शुरू की।
कतर के प्रमुख वार्ताकार मोहम्मद अल-खुलैफी ने गाजा में युद्धविराम को लेकर चल रही बातचीत की धीमी रफ्तार पर अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा कि हम वार्ता प्रक्रिया में आने वाली रुकावटों और धीमेपन से जरूर निराश हैं। यह एक संवेदनशील मुद्दा है। अगर इजराइल का सैन्य अभियान लगातार जारी रहा तो गाजा के लोगों की ज़िंदगियां खतरे में पड़ सकती हैं। वार्ता में हो रही देरी और अनिश्चितता को लेकर कतर की नाराजगी साफ झलकती है।
मार्च की शुरुआत में इज़राइल और हमास के बीच संघर्षविराम का पहला चरण समाप्त हो गया था क्योंकि दोनों पक्ष भविष्य के लिए किसी ठोस योजना पर सहमति नहीं बना सके। खुलैफी ने कहा कि बीते कुछ दिनों से हम लगातार दोनों पक्षों को एक साथ लाने और उनके समर्थन से एक नया समझौता कायम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कठिनाइयों के बावजूद हम इस प्रयास में लगे रहेंगे।
कतर, अमेरिका और मिस्र के साथ मिलकर वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है। हालांकि, कतर को इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की आलोचना का सामना करना पड़ा है, जिन्होंने उस पर हमास का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
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जैसे-जैसे युद्ध की अवधि बढ़ती जा रही है, गाजा में मानवीय हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इज़राइल ने गाजा में पहुँचने वाली सभी मानवीय सहायता पर रोक लगा दी है। अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 48 घंटों में इज़राइली हमलों में 90 फिलिस्तीनियों की जान गई है।
बता दें कि मार्च में इज़रायल और हमास के बीच चल रहा दो महीने का संघर्षविराम समाप्त हो गया, जिसके बाद इज़रायल ने हमास पर बंधकों को रिहा न करने का आरोप लगाते हुए अपने हमलों को और तेज कर दिया। रिपोर्टों के अनुसार, गाजा की लगभग 80% आबादी को अपने घरों से बेघर होना पड़ा है और हजारों लोग अस्थायी टेंटों में शरण ले रहे हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2023 से अब तक 50,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।