
मौलाना फजलुर रहमान ने मुनीर को घेरा, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Pakistan News In Hindi: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की नीतियों पर अब देश के भीतर से ही तीखे सवाल उठने लगे हैं। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कराची के ल्यारी इलाके में आयोजित एक सभा के दौरान सरकार और सेना के ‘दोमुंहे रवैये’ को सार्वजनिक रूप से उजागर किया।
22 दिसंबर को मजलिस इत्तेहाद-ए-उम्मत पाकिस्तान के तत्वावधान में आयोजित इस बैठक में देश के विभिन्न धार्मिक और वैचारिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। राउंड टेबल चर्चा को संबोधित करते हुए मौलाना फजलुर रहमान ने पाकिस्तान की अफगानिस्तान नीति पर सीधा सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान अफगानिस्तान के भीतर जाकर अपने दुश्मनों पर हमला करने को जायज ठहराता है तो फिर भारत के इसी तरह की कार्रवाई पर आपत्ति क्यों जताई जा रही है।
मौलाना फजलुर रहमान ने अपने बयान में कहा कि अगर आप कहते हैं कि हमने अफगानिस्तान में अपने दुश्मन पर हमला किया है और इसे सही ठहराते हैं तो हिंदुस्तान भी यही कहेगा कि उसने बहावलपुर और मुरीदके में हमला किया और कश्मीर पर हमला करने वालों से बदला लिया। ऐसे में आप भारत की कार्रवाई पर एतराज किस आधार पर कर रहे हैं?
Maulana Fazlur Rehman to Pakistan’s military regime: “If you justify attacking Afghanistan by claiming you are targeting your enemy there, then why do you object when India targets its enemy in Bahawalpur and Murid (inside Pakistan)?” pic.twitter.com/T91sdps611 — Afghanistan Times (@TimesAFg1) December 23, 2025
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान लगातार भारत पर सीमा पार आतंकवाद के आरोपों को खारिज करता रहा है जबकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उस पर आतंकवादी संगठनों को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं। फजलुर रहमान का यह बयान न केवल सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा करता है, बल्कि सेना की रणनीति पर भी सवाल खड़े करता है।
यह पहला मौका नहीं है जब मौलाना फजलुर रहमान ने अफगानिस्तान नीति को लेकर शहबाज सरकार की आलोचना की हो। इससे पहले भी वह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर सरकार को चेताते रहे हैं। अक्टूबर में जब दोनों देशों के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए थे तब जेयूआई-एफ प्रमुख ने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की पेशकश भी की थी।
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डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, फजलुर रहमान ने इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि वह अतीत में भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव कम कराने में भूमिका निभा चुके हैं और जरूरत पड़ी तो दोबारा ऐसा कर सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मौलाना फजलुर रहमान के ये बयान पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में बढ़ती दरार को दर्शाते हैं। साथ ही यह बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान की सुरक्षा और विदेश नीति को लेकर नए सवाल खड़े कर सकता है।






