कुलभूषण जाधव, फोटो (सो, सोशल मीडिया)
इस्लामाबाद: भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले को लेकर पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में एक हैरान करने वाला बयान सामने आया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के फैसले के बावजूद जाधव को अपील करने का अधिकार नहीं दिया गया, क्योंकि ICJ का आदेश केवल “राजनयिक पहुंच” तक ही सीमित था।
यह टिप्पणी उस समय दी गई जब सुप्रीम कोर्ट की एक संवैधानिक पीठ मई 2023 के दंगों के आरोपियों को सैन्य अदालतों द्वारा दी गई सज़ाओं की सुनवाई कर रही थी। जाधव का मामला इस संदर्भ में उठाया गया, ताकि यह दिखाया जा सके कि उन्हें जो सीमित अधिकार दिए गए हैं, वो अधिकार पाकिस्तानी नागरिकों को भी उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं।
कुलभूषण जाधव, जो पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में कैद हैं, को अब तक अपनी सजा के खिलाफ अपील करने की अनुमति नहीं मिली है। जून 2019 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि पाकिस्तान को जाधव की सजा और मौत की सजा पर पुनर्विचार करना चाहिए और साथ ही भारतीय अधिकारियों को उनसे मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने ICJ के निर्देशों का पूरी तरह पालन नहीं किया है। जुलाई 2020 में भारत ने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान ICJ के फैसले को लागू करने से इनकार कर रहा है। भारत ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान में जाधव का जो मुकदमा चलाया गया, वह न तो पारदर्शी था और न ही न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप।
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पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने कुलभूषण जाधव के मामले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि जाधव को अपील का जो अधिकार दिया गया, वही अधिकार पाकिस्तान के उन नागरिकों को नहीं मिला, जिन्हें 9 मई 2023 के “ब्लैक डे” दंगों में शामिल होने के आरोप में सैन्य अदालतों ने दोषी ठहराया है।
रिपोर्ट के अनुसार, अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान ने कोर्ट से इस मुद्दे पर विचार करने के लिए समय मांगा है कि क्या दंगों के दोषियों को भी अपील का मौका दिया जा सकता है। इस पूरी स्थिति से यह सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान विदेशी नागरिकों के मामलों में अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से अलग मानदंड अपना रहा है, जबकि अपने ही नागरिकों के साथ भिन्न रवैया अपना रहा है?
भारत का कहना है कि कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार बंदरगाह से जबरन उठाया गया था, जबकि पाकिस्तान का दावा कि उसे बलूचिस्तान से पकड़ा गया, पूरी तरह से झूठा और बेबुनियाद है। भारत यह भी मानता है कि पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के आदेशों का पालन नहीं किया है। भारत सरकार इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार उठाती रही है और ICJ के निर्णय को पूरी तरह लागू करने की मांग कर रही है।