खामेनेई का सद्दाम जैसा होगा अंजाम! (डिजाइन फोटो)
इजरायल और ईरान के बीच जारी तनाव अब अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ जानलेवा धमकी जारी करते हुए कहा कि इस युद्ध का अंत तभी होगा जब खामेनेई की हत्या कर दी जाएगी। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में इजरायल ने खामेनेई को मारने की एक विस्तृत योजना भी तैयार कर ली थी, लेकिन अंतिम समय पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने इस मिशन को रोक दिया।
इजरायल के रक्षा मंत्री योआव गालंत ने मंगलवार को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को लेकर एक कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि खामेनेई का अंत भी इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन की तरह होगा। गालंत ने दावा किया कि सद्दाम की तरह ही खामेनेई को भी ईरान के लोग ही फांसी देंगे।
यह अब तक की सबसे स्पष्ट और गंभीर चेतावनी मानी जा रही है। साथ ही, आशंका जताई जा रही है कि इजरायल जल्द ही कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इस बीच, इजरायल की इस संभावित रूप से खतरनाक योजना को लेकर अमेरिका में भी चिंता व्यक्त की जा रही है। ट्रंप सरकार बार-बार आगाह कर रही है कि अगर इस संघर्ष में किसी प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं तथा युद्ध भयानक रूप ले सकता है। ट्रंप ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने इजरायल को ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई की हत्या करने से रोकने की कोशिश की थी।
कात्ज ने अपने बयान में स्पष्ट संकेत दिया कि खामेनेई के सामने दो ही विकल्प हैं या तो वे इजरायल की सैन्य कार्रवाई का शिकार होंगे, या फिर सद्दाम हुसैन की तरह अपने ही लोगों के हाथों मारे जाएंगे। उल्लेखनीय है कि सद्दाम हुसैन को अमेरिकी हमले के बाद इराकी जनता ने ही फांसी दी थी। हालांकि, इस धमकी को राजनयिक भाषा में पेश किया गया ताकि इजरायल पर सीधे हत्या का आरोप न लगे।
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इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन पर कई मामलों में हजारों लोगों की हत्या के आरोप लगे थे, लेकिन 1982 में दुजैल गांव में 148 शिया मुसलमानों की हत्या का मामला साबित होने के बाद उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। 2003 में अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन ने उनकी सरकार को गिरा दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 2006 में इराक की एक विशेष अदालत ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया और मौत की सजा दी। 30 दिसंबर 2006 को ईद के दिन, बगदाद के एक सैन्य बेस में उन्हें फांसी दे दी गई।