
जापान के जंगल में लगी आग, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: उत्तरी जापान में भयानक जंगल की आग फैलने के कारण हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं। पिछले 30 वर्षों में जापान में यह अब तक की सबसे बड़ी जंगल की आग बताई जा रही है, जिसने करीब 1,800 हेक्टेयर इलाके को अपनी चपेट में ले लिया है और इस हादसे में अभी तक एक व्यक्ति की जान चली गई है।
अधिकारियों के मुताबिक, ओफुनाटो शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों से लगभग 2,000 लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं, जबकि 1,200 से अधिक लोग राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं। आपदा प्रबंधन एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह आग 1992 में होक्काइडो के कुशिरो में लगी आग के बाद से सबसे गंभीर है।
पिछले चार दिनों से भड़क रही आग को बुझाने के लिए सैन्य हेलीकॉप्टर लगातार कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब तक आग ने 80 से ज्यादा इमारतों को नुकसान पहुंचा दिया है। देशभर से 1,700 से अधिक फायरफाइटर्स को तैनात किया गया है। एनएचके द्वारा जारी हवाई दृश्यों में आग से उठता धुआं साफ दिखाई दे रहा है।
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सरकारी रिपोर्टों के मुताबिक, जापान में 1970 के दशक के शिखर के बाद से जंगल की आग की घटनाओं में कमी देखी गई थी। हालांकि, 2023 में स्थिति फिर से गंभीर हो गई जब पूरे देश में लगभग 1,300 जंगल की आगें भड़क उठीं। ये आग मुख्य रूप से फरवरी से अप्रैल के बीच तेज हवाओं और शुष्क मौसम की वजह से तेजी से फैलीं।
जंगल में आग लगने के कारणों को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि जंगल की आग न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ती हैं, बल्कि गंभीर पारिस्थितिक और आर्थिक नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। दरअसल जंगलों में सूखी लकड़ियां और ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में होती हैं, जो आग को भड़काने के लिए ईंधन का काम करती हैं। अधिक तापमान या बिजली गिरने जैसी स्थितियों में जंगल में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। तेज हवाओं के चलते इस आग पर काबू पाना बेहद कठिन हो जाता है। ऐसी स्थिति में, एक छोटी सी चिंगारी भी तेजी से फैलकर विकराल आग का रूप ले सकती है।






