
ईरान में महिलाएं बिना किसी हिंसा या नारों के हिजाब कानून को चुनौती दी (सोर्स-सोशल मीडिया)
Non Violent Movement Iran: ईरान की सड़कों पर इन दिनों एक ऐसी बगावत देखने को मिल रही है जिसमें न तो हथियार हैं और न ही उग्र नारे, फिर भी इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। सख्त हिजाब कानूनों के खिलाफ ईरानी महिलाएं अब महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन की तर्ज पर अपना विरोध दर्ज करा रही हैं।
महसा अमीनी की मौत के बाद भड़का गुस्सा अब एक सामूहिक और संगठित साहस में बदल चुका है। बिना दुपट्टे के सार्वजनिक स्थानों पर घूमना अब केवल एक व्यक्तिगत पसंद नहीं, बल्कि कट्टरपंथी सत्ता के खिलाफ एक बड़ी राजनैतिक चुनौती बन गया है।
ईरान सरकार ने साल 2024 में नया ‘हिजाब और शालीनता कानून’ लागू किया है, जिसके तहत उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना, कोड़े मारना और जेल जैसी कड़ी सजाओं का प्रावधान है। इसके बावजूद तेहरान और शिराज जैसे बड़े शहरों में महिलाएं बेखौफ होकर नियमों को तोड़ रही हैं।
दिलचस्प बात यह है कि इतनी सख्ती के बाद भी ईरानी सरकार बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां करने से कतरा रही है। सरकार को डर है कि अगर फिर से 2022 जैसा जन आंदोलन खड़ा हुआ, तो आर्थिक संकट और पानी की कमी से जूझ रहे देश में हालात पूरी तरह बेकाबू हो सकते हैं।
इस आंदोलन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका कोई एक चेहरा या नेता नहीं है। यह किशोरियों और कामकाजी महिलाओं का एक स्वतः स्फूर्त आंदोलन है जो पुलिस की धमकियों की परवाह नहीं कर रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, महिलाएं न केवल हिजाब उतार रही हैं, बल्कि मोटरसाइकिल क्लब चला रही हैं और सोशल मीडिया पर अपनी आजादी के वीडियो साझा कर रही हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि ईरानी प्रशासन वर्तमान में प्रशासनिक और राजनैतिक रूप से इतना सक्षम नहीं है कि वह पूरे देश में बलपूर्वक इन कानूनों को थोप सके।
यह भी पढ़ें: उन्नाव रेप केस: कुलदीप सेंगर की जमानत के खिलाफ SC जाएगी CBI, RaGa ने पीड़िता को दिया मदद का वादा
ईरान में चल रही यह खामोश क्रांति दर्शाती है कि जब डर का तंत्र टूट जाता है, तो कानून की बंदिशें बेअसर होने लगती हैं। सरकार की मजबूरी और महिलाओं का बढ़ता हौसला इस बात का संकेत है कि देश में एक बड़ा सामाजिक बदलाव आ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी ईरान की इस स्थिति पर नजर रखी जा रही है। अगर सरकार ने अधिक सख्ती दिखाई, तो वह पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ सकती है और आंतरिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल, ईरान की महिलाएं अपने मौन विरोध से इतिहास लिखने की राह पर हैं।






