अली खामेनेई, डोनाल्ड ट्रंप (फोटो- सोशल मीडिया)
तेहरान: ईरान और इजरायल के बीच तनाव लगातार आठवें दिन भी बना हुआ है। इसी दौरान ईरान ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित परमाणु समझौते को लेकर सक्रियता दिखाई है। अब ईरान ने रूस, चीन और पाकिस्तान के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक आपात बैठक बुलाने की मांग की है।
गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमले की शुरुआत के बाद यूएनएससी की आपात बैठक बुलाए जाने की मांग की थी। अब जवाब में, ईरान ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक और आपात बैठक की मांग की है, जो आज होने की संभावना है।
ईरान और इजरायल पर अमेरिका अपनी नजर बनाए रखे हुए है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को बंद करने और बिना शर्त आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था। इसके अलावा लगातार ईरान पर दबाव बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप ने गुरुवार को ईरान के खिलाफ हमले को मंजूरी दे दी थी। हालांकि उन्होंने अधिकारियों को अंतिम फैसले के लिए रुकने के लिए कहा था। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि ट्रंप अगले दो हफ्ते में ईरान को लेकर फैसला कर सकते हैं।
#WATCH वाशिंगटन, डीसी | व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हवाले से कहा, “… इस तथ्य के आधार पर कि निकट भविष्य में ईरान के साथ बातचीत होने या न होने की पर्याप्त संभावना है, मैं अगले दो सप्ताह के भीतर अपना निर्णय लूंगा…”
सोर्स: व्हाइट हाउस/… pic.twitter.com/LHvmL28p2P
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 19, 2025
ट्रंप के आत्मसमर्पण के प्रस्ताव को ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने ठुकरा दिया है। खामेनेई ने कहा कि, जो लोग ईरान के इतिहास और उसकी संघर्षशीलता से वाकिफ हैं, वे हमें कभी धमकाने की कोशिश नहीं करेंगे। ईरानी जनता कभी घुटने नहीं टेकेगी। उन्होंने ट्रंप को चेतावनी दी कि अगर अमेरिका इजरायल की मदद करने की कोशिश करता है या सैन्य हस्तक्षेप करता है, तो उसे ऐसे नुकसान उठाने पड़ेंगे जो कभी पूरी तरह से भर नहीं पाएंगे।
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अब इजरायल-ईरान युद्ध में रूस की भी एंट्री हो चुकी है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी देते हुए सलाह दी है कि अमेरिका इस संघर्ष से दूर ही रहे। पुतिन ने ईरान पर अमेरिकी हमले की अटकलों को लेकर कहा कि हम वाशिंगटन को ऐसे काल्पनिक विकल्पों के खिलाफ भी आगाह करते हैं। ऐसा कोई भी कदम पूरे हालात को गंभीर रूप से अस्थिर कर सकता है।