कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में प्रगति करते हुए गुप्त रूप से कई विस्फोट परीक्षण किए हैं। यह कदम ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर वैश्विक चिंताओं को और बढ़ा सकता है।
ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है यह आरोप कई रिपोर्ट्स में उठाया गया है। खबरों के मुताबिक, ईरान ने न केवल परमाणु ऊर्जा के लिए यूरेनियम संवर्धन किया है, बल्कि कई ऐसे गोपनीय परीक्षण भी किए हैं जो परमाणु बम बनाने के इरादे का संकेत देते हैं।
ये सारी गतिविधियाँ ईरान ने चार अलग-अलग परमाणु स्थलों मारिवन, लाविसन-शियान, वरमिन और तुर्कुज-अबाद पर अंजाम दी हैं। दिलचस्प बात यह है कि ईरान ने अपने इस मिशन को चुपचाप आगे बढ़ाया, जबकि अमेरिका सहित अन्य वैश्विक ताकतें इस पर नज़र रखने के बावजूद मूकदर्शक बनी रहीं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2020 में IAEA की एक टीम ने ईरान के एक संदिग्ध परमाणु क्षेत्र और परीक्षण स्थलों का निरीक्षण किया था। हालांकि, विस्फोटक परीक्षण स्थल की जांच के दौरान वे उस नियंत्रण बंकर तक नहीं पहुंच सके, जहां से सभी गतिविधियाँ संचालित की जा रही थीं। इसके कुछ समय बाद ही ईरान ने उस बंकर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ईरान प्रतिमाह 60% समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा है। इस हिसाब से, तेहरान के पास अब तक इतना संवर्धित यूरेनियम जमा हो चुका है कि वह लगभग 10 परमाणु बम बना सकता है।
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ईरान और अमेरिका के बीच नई परमाणु समझौते पर बातचीत चल रही है, लेकिन IAEA के खुलासे से स्थिति बिगड़ सकती है। IAEA ने दावा किया है कि ईरान ने एक “कोल्ड टेस्ट” करने की योजना बनाई थी, जिसमें परमाणु कोर में प्राकृतिक या कम समृद्ध यूरेनियम का इस्तेमाल होना था। यह जानकारी सामने आने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
ईरान ने 20 साल पहले इस तरह के परीक्षण शुरू किए थे और इससे जुड़े डेटा को गोपनीय रखा था। IAEA की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने 15 फरवरी से 3 जुलाई, 2003 के बीच दो विस्फोटक इम्प्लोजन टेस्ट किए थे। यह वही प्रक्रिया है जो परमाणु बम के मुख्य भाग (कोर) को विस्फोटकों की मदद से दबाकर संकुचित करने में प्रयोग की जाती है। इस खुलासे के बाद परमाणु समझौते पर चल रही वार्ता प्रभावित हो सकती है, क्योंकि अमेरिका और अन्य देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंतित हैं।