इजरायल पर मंडराया गंभीर खतरा, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष के बीच यमन के हूती विद्रोहियों ने एक नया खतरा पैदा कर दिया है। जहां एक तरफ इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु स्थलों पर हमले करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं, वहीं दूसरी ओर यमन के अंसार अल्लाह आंदोलन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि उनके नेताओं को निशाना बनाया गया, तो वे इजरायल पर जबरदस्त हमला करेंगे।
हूती आंदोलन के प्रवक्ता ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि इजरायल उनके किसी नेता को निशाना बनाता है, तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम शहीद होने के लिए तैयार हैं। एक नेता के जाने पर हजारों नए नेता खड़े हो जाएंगे। यह बयान बताता है कि हूती अब पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
इसी बीच, इजरायल ने यमन में हूती नेताओं पर हमला किया। यह हमला एक गुप्त बैठक के दौरान हुआ, जिसमें हूती सैन्य कमांडर अब्दुल करीम अल-गमारी और सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के प्रमुख महदी अल-मशात मौजूद थे। हालांकि दोनों नेता सुरक्षित बच गए, लेकिन इस हमले से इजरायल की हूतियों के प्रति शत्रुतापूर्ण नीति साफ झलकती है।
इजरायल और हूती विद्रोहियों के बीच लंबे समय से चली आ रही शत्रुता कोई नई घटना नहीं है। 2023 के बाद से हूती समूह ने बार-बार इजरायली लक्ष्यों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं। विशेष रूप से गाजा में जब संघर्ष अपने चरम पर था, तब हूतियों ने इजरायल के विरुद्ध सीधी कार्रवाई शुरू कर दी थी। इजरायल की नौसैनिक सीमा के निकट तैनात उनके ड्रोन और मिसाइलों ने गंभीर सुरक्षा चुनौतियां उत्पन्न की थीं।
इजरायल द्वारा चलाए गए ‘राइजिंग लॉयन’ ऑपरेशन में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई। इस सूची में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख, परमाणु वैज्ञानिक और कई अन्य वरिष्ठ कमांडर शामिल थे। इस हमले के बाद से पूरे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। हूती विद्रोहियों ने भी इस घटना के बाद से अपनी आक्रामकता में वृद्धि कर दी है।
इजरायल ने अब तक हिजबुल्लाह के महासचिव हसन नसरल्लाह और हमास के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाया है, लेकिन हूती नेतृत्व, विशेष रूप से अब्दुल मलिक अल-हूती, फिलहाल इजरायली हमलों की जद से बाहर रहे हैं इसी कारण से, इजरायल अब यमन की तरफ भी अपना ध्यान और कार्रवाई तेज कर सकता है।