शेख हसीना
Bangladesh PM Sheikh Hasina resigns: शेख हसीना बांग्लादेश की एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि चार बार प्रधानमंत्री चुनीं गईं। राजधानी ढाका में भीषण आगजनी, जानलेवा प्रदर्शन और हिंसा को देखते हुए बांग्लादेश की चार बार प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को आज देश छोड़ कर जाना पड़ा।
आइए जानते हैं शेख हसीना का सियासी सफर का इतिहास क्या और कैसे रहा।
शेख हसीना का सियासी सफर
शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को ढाका में हुआ था। उनका शुरुआती जीवन भी यहीं बीता। उनके पिता बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान थे। शेख हसीना अपने घर की सबसे बड़ी बेटी हैं। उन्होंने छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखा। वह एक छात्र नेता के रूप में राजनीति में आईं। शेख हसीना यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका में भी स्टूडेंट पॉलिटिक्स में एक्टिव रहीं। लोगों का उन्हें प्रशंसा और समर्थन मिला। इसके बाद उन्होंने अपने पिता की आवामी लीग के स्टूडेंट विंग को संभाला था।
जब शेख हसीना के पूरे परिवार की हत्या कर दी गई
शेख हसीना के लिए राजनीति इतना आसान नहीं रहा। पांर्टी संभालने के बाद वो बुरे दौर से गुजरीं, जब उनके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई थी। माता-पिता और 3 भाईयों को मौत के घाट उतार दिया गया था। लेकिन, हसीना उनके पति वाजिद मियां और छोटी बहन की जान बच गई थीं। ये घटना साल 1975 की है। इस दौरान सेना ने बगावत कर दी थी और हसीना के परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
पिता की हत्या के बाद भारत में लीं शरण
परिवार की हत्या हो जाने के बाद हसीना जर्मनी चली गईं थीं। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उनके अच्छे संबंध थे। इंदिरा ने शेख को जर्मनी से दिल्ली बुलवा लिया था। इसके बाद वह लंबे समय तक दिल्ली में ही रहीं। इसके बाद साल 1981 में शेख वापस अपने देश बांग्लादेश वापस लौंटी। यहां उन्होंने एक बार नए सिरे से चीजों को तैयार किया। शेख ने अपनी पार्टी ज्वॉइन की और कार्यभार संभाला।
शेख हसीना पहली बार कब बनीं थीं प्रधानमंत्री
शेख हसीना ने 1986 से 1990 तक, और 1991 से 1995 तक, बतौर विपक्ष की नेता काम किया। शेख पहली बार जून 1996 में प्रधानमंत्री पद का शपथ लिया तब से जुलाई 2001 तक उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद शेख जनवरी 2009 से बांग्लादेश का प्रधानमंत्री पद संभाले हुई थीं। आज जब उनके इस्तीफे की सामने आई तो वह हैरान हैं। यहीं नहीं देश की जनता ने जिस नेता को अपने सिर माथे पर चढ़ा कर रखा। चार-चार बार पीएम के लिए चुना आज उन्हें देश छोड़ना पड़ा। शेख 1981 से अवामी लीग का नेतृत्व कर रही हैं।
सत्ता में शेख हसीना की वापसी
शेख हसीना ने 1996 से 2001 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद स्वतंत्रता के बाद से पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली देश की पहली प्रधानमंत्री भी बनीं। शेख हसीना को साल 2001 के आम चुनाव में सत्ता से बाहर होना पड़ा। लेकिन इसके बाद 2008 में वह प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर बांग्लादेश में सत्ता वापसी कीं।
हत्या का प्रयास
शेख हसीना की हत्या का भी प्रयास किया गया। साल 2004 में हसीना के चुनावी रैली में ग्रेनेड विस्फोट के जरिए उनकी हत्या का प्रयास हुआ, जिसमें वह बच गईं। हालांकि साल 2009 में सत्ता में आने के तुरंत बाद शेख हसीना ने 1971 के युद्ध अपराध मामलों की सुनवाई के लिए एक ट्रिब्यूनल गठित किया। ट्रिब्यूनल ने विपक्ष के कुछ हाई-प्रोफाइल नेताओं को दोषी ठहराया था।
शेख हसीना के नाम हैं ये अवॉर्ड
शेख हसीना अपने कार्यकाल के दौरान कई अवार्ड अपने की हैं। उसाल 1998 में उन्हें मदर टेरेसा बाय ऑल इंडिया पीस काउंसिल का अवॉर्ड मिला था। इसी साल शेख ने मोहनदास करमचन्द्रं गांधी यानी एमके गांधी अवॉर्ड भी अपने नाम किया था। साल 2000 में शेख को द पर्ल बद अवॉर्ड से नवाजा गया। फिर साल 2014 में हसीना शेख को महिला सशक्तिकरण और बालिका शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए यूनेस्को शांति वृक्ष पुरस्कार दिया गया। साल 2009 में उन्हें इंदिरा गांधी प्राइज मिला। इसके बाद साल 2015 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिला।
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