बगराम एयर बेस के लेकर चीन और तालिबान ने ट्रंप को दिया अल्टीमेटम, (डिजाइन फोटो)
Bagram Air Base: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अफगानिस्तान के बगराम एयर बेस पर दोबारा कब्ज़ा जमाने की योजना पर चीन और तालिबान ने शुक्रवार को कड़ी चेतावनी दी। यह एयर बेस रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जाता है और अफगानिस्तान में चीनी सीमा के नजदीक स्थित है।
गुरुवार को ब्रिटेन में ट्रंप ने कहा कि वह इस एयरबेस को दोबारा हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि यह चीन के परमाणु हथियार निर्माण केंद्रों के बेहद करीब स्थित है। संभावना जताई जा रही है कि अमेरिकी सैनिक फिर से इस एयरबेस पर लौट सकते हैं। ट्रंप इस समय ब्रिटेन की राजकीय यात्रा पर हैं। चार साल पहले अमेरिका के अफगानिस्तान से लौटने के बाद यह एयरबेस तालिबान के कब्जे में चला गया था। उससे पहले इस पर अमेरिका का नियंत्रण था। ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अफगानिस्तान ने कहा कि विदेशी सेनाओं की मौजूदगी को अफगान कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
अफगानिस्तान ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी तरह की विदेशी सैन्य मौजूदगी को मान्यता नहीं देगा। तालिबान के अधिकारी जाकिर जलाल ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार इस विचार को पूरी तरह नकारती है। उनका कहना है कि देश ने अपने इतिहास में कभी भी किसी बाहरी सैन्य उपस्थिति को मंजूरी नहीं दी और दोहा वार्ता तथा समझौते के समय भी इस संभावना को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया था।
उधर, चीन ने भी चेतावनी देते हुए कहा कि कोई भी ताकत क्षेत्रीय तनाव और टकराव को भड़काने की कोशिश न करे। बीजिंग में मीडिया को संबोधित करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि अफगानिस्तान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान का भविष्य उसी के नागरिकों के हाथों में है और सभी पक्षों को क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए।
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वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए अपने सैनिकों की तैनाती को लेकर तालिबान के साथ बातचीत कर रहा है। यह जानकारी उन सूत्रों से मिली है जो इस वार्ता से जुड़े हुए हैं।