
शेख मुजीबुर रहमान अब नहीं रहे बांग्लादेश के 'राष्ट्रपिता', (डिजाइन फोटो)
ढाका: बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्ता पलट के बाद से राजनीतिक हलचलें लगातार जारी हैं। इसी बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश के स्वतंत्रता सेनानी और संस्थापक पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को दी गई राष्ट्रपिता की उपाधि वापस ले ली है। सरकार ने संबंधित कानून में बदलाव कर यह फैसला लिया है। इससे पहले, शेख हसीना के पिता मुजीबुर रहमान की तस्वीरों को नए करेंसी नोटों से हटा दिया गया था, और अब उनकी राष्ट्रपति की उपाधि भी रद्द कर दी गई है।
यूनुस सरकार ने अचानक एक अध्यादेश जारी करके 400 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों की मान्यता को निरस्त कर दिया है। 1970 के चुनावों में विजयी हुए चार सौ से ज्यादा राजनेताओं की स्वतंत्रता सेनानी के रूप में स्वीकृति रद्द कर दी गई है। इनमें मुक्ति संग्राम के नेता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, सैयद नजरूल इस्लाम, ताजुद्दीन अहमद, एम मंसूर अली और एएचएम कमरुज्जमां जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। यह अध्यादेश मंगलवार की रात यूनुस सरकार द्वारा लागू किया गया।
राष्ट्रपति के आदेश के तहत यह अध्यादेश पारित किया गया और उसी दिन रात लगभग 11 बजे इसे राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिषद (जमुका) को आधिकारिक रूप से भेज दिया गया। “राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिषद अधिनियम 2022” के तहत बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, निर्वासित सरकार के सांसद (एमएनए, एमपीए) और चार अन्य श्रेणियों के व्यक्तियों को “वीर स्वतंत्रता सेनानी” का सम्मान प्राप्त था। लेकिन हाल ही में जारी किए गए नए अध्यादेश के अनुसार, अब इन्हें केवल “मुक्ति संग्राम के सहयोगी” माना गया है। सरकार के नए फैसले के बाद इन्हें जो स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया गया था, वह अब रद्द कर दिया गया है।
युद्ध के मैदान में यूक्रेन की ताकत बढ़ी, ब्रिटेन-जर्मनी की मदद से बदलेगा पूरा नक्शा
शेख मुजीबुर रहमान को शेख मुजीब या बंगबंधु के रूप में भी जाना जाता है। शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के जनक और उसके स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता थे। उनका जन्म 17 मार्च 1920 को तुंगीपारा नामक स्थान पर हुआ था, जो उस समय बंगाल प्रांत का हिस्सा था और आज बांग्लादेश में स्थित है। वे आवामी लीग के संस्थापक और इसके अध्यक्ष थे, जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। 1970 के आम चुनावों में उनकी पार्टी ने भारी जीत हासिल की, लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान ने सत्ता हस्तांतरण से मना कर दिया।
इसके बाद, 1971 में मुजीबुर रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की। इस घोषणा के बाद बांग्लादेश में स्वतंत्रता संग्राम छिड़ गया, जिसमें भारत की मदद से बांग्लादेश ने पाकिस्तान से आजादी हासिल की। उनके प्रभावशाली योगदान के कारण उन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रपिता माना जाता है।






