
क्वेटा में एक ही परिवार के 4 लोग जबरन गायब, फोटो (सो. आईएएनएस)
Pakistan News In Hindi: पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप एक बार फिर तेज हो गए हैं। क्वेटा से आई ताजा रिपोर्ट के अनुसार, एक ही बलूच परिवार के कम से कम चार सदस्यों को कथित तौर पर पाकिस्तानी अधिकारियों ने जबरन गायब कर दिया है। यह जानकारी प्रमुख मानवाधिकार संगठन बलूच यकजहती कमेटी (बीवाईसी) ने साझा की है।
बीवाईसी के मुताबिक, शनिवार को क्वेटा में एक इनडोर स्थल पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर एक जागरूकता संगोष्ठी आयोजित की गई थी। संगठन ने स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण था, न तो किसी सड़क को अवरुद्ध किया गया और न ही किसी सरकारी कार्य में बाधा डाली गई। इसके बावजूद, प्रशासन की ओर से सख्त कार्रवाई की गई।
मानवाधिकार संगठन का आरोप है कि इसी संगोष्ठी में कथित भागीदारी के संदेह के आधार पर शनिवार रात एक बलूच परिवार के चार सदस्यों को क्वेटा के सरियाब थाने बुलाया गया। इसके बाद से वे सभी लापता हैं। बीवाईसी का कहना है कि इन लोगों को थाने बुलाने के बाद जबरन गायब कर दिया गया, और उनके परिवार को उनकी स्थिति या ठिकाने की कोई जानकारी नहीं दी गई।
मामले के सामने आने के बाद रविवार सुबह पीड़ित परिवार की ओर से अदालत में याचिका दायर की गई। हालांकि, बीवाईसी का आरोप है कि पाकिस्तानी अधिकारी इन चारों लोगों को न्यायाधीश के सामने पेश करने में विफल रहे। इसके बजाय अदालत को बताया गया कि चारों को क्वेटा के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में मेंटेनेंस ऑफ पब्लिक ऑर्डर (एमपीओ) कानून के तहत हिरासत में रखा गया है।
एमपीओ कानून के तहत प्रशासन को यह अधिकार है कि वह ‘सार्वजनिक व्यवस्था के संभावित खतरे’ के नाम पर किसी व्यक्ति को निवारक हिरासत में ले सकता है। लेकिन मानवाधिकार संगठन का कहना है कि इस मामले में हिरासत को सही ठहराने वाले कोई भी कानूनी दस्तावेज अदालत में पेश नहीं किए गए जो पूरे मामले को और संदिग्ध बनाता है।
बीवाईसी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह स्थिति इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बलूचिस्तान में प्रभावी रूप से अघोषित सैन्य मार्शल लॉ लागू है। संगठन का आरोप है कि यहां न्यायिक और प्रशासनिक संस्थान, जिनमें न्यायाधीश और डिप्टी कमिश्नर तक शामिल हैं, सेना और खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
संगठन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना एक मौलिक और संवैधानिक अधिकार है। केवल इसी आधार पर एक परिवार के चार सदस्यों को हिरासत में लेना और बिना कानूनी प्रक्रिया के एमपीओ के तहत बंद करना दर्शाता है कि पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान को औपनिवेशिक रवैये से चला रही है।
यह भी पढ़ें:- अफगानिस्तान मुद्दे पर ईरान की बैठक, लेकिन तालिबान ने किया किनारा; वजह आई सामने
अंत में बीवाईसी ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं और वैश्विक समुदाय से अपील की कि वे इस कथित राज्य दमन के खिलाफ ठोस और प्रभावी कदम उठाएं। संगठन ने चेतावनी दी कि इस समय चुप रहना पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न को और बढ़ावा देने के समान होगा।






