
आखिरकार बिक गई PAK की राष्ट्रीय एयरलाइन, (डिजाइन फोटो)
Pakistan News In Hindi: पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन (PIA) को आखिरकार नया मालिक मिल गया है। आरिफ हबीब कंसोर्टियम ने 135 अरब पाकिस्तानी रुपये (करीब 4,317 करोड़ रुपये) की सबसे ऊंची बोली लगाकर PIA के 75 प्रतिशत शेयर खरीद लिए हैं। इस नीलामी में लकी सीमेंट और एयरब्लू जैसी कंपनियों ने भी भाग लिया था लेकिन उनकी बोली आरिफ हबीब ग्रुप से कम रही।
लकी सीमेंट ने PIA के लिए 101.5 अरब पाकिस्तानी रुपये (करीब 3,246 करोड़ रुपये) की बोली लगाई थी जबकि एयरब्लू की बोली 26.5 अरब पाकिस्तानी रुपये (लगभग 847 करोड़ रुपये) रही। सरकार द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार, नीलामी से मिलने वाली कुल राशि का 92.5 प्रतिशत हिस्सा PIA के सुधार, पुनर्गठन और संचालन को मजबूत करने में खर्च किया जाएगा।
आरिफ हबीब कंसोर्टियम चार कंपनियों का समूह है जिसकी मौजूदगी फर्टिलाइजर, निवेश, ऊर्जा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में है। इस ग्रुप को पाकिस्तान के सबसे अनुभवी और भरोसेमंद कॉरपोरेट घरानों में गिना जाता है। सरकार को उम्मीद है कि इस कंसोर्टियम के आने से PIA की वित्तीय स्थिति और सेवाओं में सुधार होगा।
वर्तमान में PIA के बेड़े में कुल 32 विमान हैं, जिनमें एयरबस A320, एयरबस A330, बोइंग 737 और बोइंग 777 जैसे विमान शामिल हैं। इसके बावजूद एयरलाइन लंबे समय से घाटे में चल रही थी। खराब प्रबंधन, उड़ानों की कमी, यात्रियों की लगातार शिकायतें और बढ़ते कर्ज ने PIA को कमजोर बना दिया था।
PIA की साख को सबसे बड़ा झटका साल 2020 में कराची में हुए विमान हादसे से लगा। इस हादसे के बाद खुलासा हुआ कि PIA के 260 से अधिक पायलटों के लाइसेंस संदिग्ध या फर्जी थे। इसके चलते कई देशों ने PIA की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे एयरलाइन की अंतरराष्ट्रीय कमाई लगभग ठप हो गई।
घाटे का बोझ बढ़ने के बाद पाकिस्तान सरकार के लिए PIA को संभालना मुश्किल हो गया। इसी बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से राहत पैकेज पाने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा। IMF ने साफ कहा कि घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया जाए। पाकिस्तान को IMF से करीब 7 अरब डॉलर के पैकेज की जरूरत है, और PIA का निजीकरण उसी शर्त का हिस्सा माना जा रहा है।
PIA की प्राइवेटाइजेशन कमेटी के सलाहकार मुहम्मद अली के मुताबिक, सरकार का उद्देश्य सिर्फ एयरलाइन को बेचना नहीं बल्कि उसे आत्मनिर्भर और मजबूत बनाना है। उन्होंने बताया कि भुगतान का दो-तिहाई हिस्सा शुरुआत में और एक-तिहाई हिस्सा बाद में लिया जा सकता है। साथ ही, बोली जीतने के बाद दो नए साझेदार जोड़ने की भी अनुमति दी गई है।
यह भी पढ़ें:- भारत-श्रीलंका रिश्तों में नया पुल! जयशंकर ने 120 फुट के ब्रिज का किया उद्घाटन,राष्ट्रपति रहे मौजूद
नीलामी प्रक्रिया में सेना से जुड़ी फौजी फर्टिलाइजर कंपनी का नाम भी पहले शामिल था लेकिन आखिरी वक्त में उसने खुद को पीछे कर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर कोई सैन्य या सरकारी संस्था यह सौदा जीतती तो IMF को गलत संदेश जाता। IMF चाहता है कि PIA पूरी तरह निजी हाथों में जाए ताकि एयरलाइन पर सरकारी या सैन्य नियंत्रण न रहे।






